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सिर्फ पढ़ने के लिये
रघुराज एक दिन बाजार में बैठे हुए थे। बाजार में एक भीख मांगने वाला व्यक्ति घूम रहा था लेकिन कोई उसे कुछ भी नहीं दे रहा था। सब अपने रास्ते चले जाते थे। उसके तन पर इतनी ठंड में भी कायदे से तन ढकने के लिए कोई वस्त्र नहीं था न ही उसके पांव में किसी प्रकार का चप्पल ही था।
रघुराज को प्रताप भारती की बात याद हो गयी। उन्होंने एक कपड़े की दुकान में जाकर उसके मालिक से कुछ कहकर चले आये और दिनेश चाय वाले के यहां आकर बैठ गए। तभी कपड़े के दुकान का मालिक एक लड़के से उस भीख मांगने वाले को बुलवा लिया।
ग्राहकों को जाने के बाद उसे ठंड से बचने के लिए कई तरह के गर्म कपड़ो से ढक दिया और उसे पहनने के लिए जूते भी दे दिए। वह भिखारी आशीर्वाद देता हुआ जाने लगा तो दिनेश चाय वाले ने उसे बुलाकर चाय और नाश्ता कराकर उसकी उदर पूर्ति कर दिया।
कई लोग यह सब देखकर अवाक् थे लेकिन जो जानने वाले थे वह समझ गए थे कि यह सारा कार्य सरोज सेवा केंद्र के सहायक व्यवस्थापक रघुराज द्वारा क्या गया है। कुछ समय पश्चात रघुराज कपड़े की दुकान में गए और पूछा प्रमोद भाई आपका कितना रुपया हुआ। प्रमोद बोला तीन हजार।
रघुराज ने प्रमोद को तुरंत ही तीन हजार रुपये अपनी जेब से निकालकर दे दिए फिर आकर दिनेश से पूछने लगे कि आपका आज का कितना रुपया हुआ दिनेश बोला – आज का 150 रुपया। रघुराज अपने घर की तरफ जा रहे थे उनके पास के पैसे खत्म हो रहे थे।
प्रताप भारती को गए एक महीना हो रहा था। वह आगे के विषय में सोच रहे थे तभी उनके फोन की घंटी बजने लगी। दूसरी तरफ प्रताप भारती थे। नमस्ते करने के बाद प्रताप भारती ने पूछा कैसे चल रहा है। रघुराज ने कहा आपने ऐसा कार्य सौप दिया है कि प्रत्येक दिन कही से भी कोई सहायता के लिए आ जाता है।
आपके कहने के अनुसार ही मैं सहायता के लिए सदैव ही तैयार रहता हूँ लेकिन, लेकिन क्या प्रताप भारती ने पूछा रघुराज बोले कही बीच में व्यवधान उत्पन्न हो गया तो लोग बहुत हंसी उड़ाएंगे। मैं आपकी बात से सहमत हूँ लेकिन भगवान की कृपा से सब ठीक होगा।
मैंने पचास आपके खाते में भेज दिया है आप उसे लेकर आगे का कार्यक्रम देखिए ज्यादा परेशानी होने पर हमे आप फोन द्वारा सूचित करिये मैं आपको तुरंत ही रुपये की व्यवस्था कर दूंगा। रघुराज अपने घर पहुंचे ही थे कि सुखिया दौड़ते हुए उनके पास आया जो उनके ही गांव का व्यक्ति था।
मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण करता था वह रघुराज से बोला रघु भाई हमारे लड़के की तबीयत खराब है उसे निमोनिया हो गया है दवा के लिए पैसे नहीं है इस माघ पूस के महीने में कही काम नहीं मिलता है। लड़के की दवा के लिए पैसे की व्यवस्था कर दो।
इतना सुनते ही रघुराज उसके साथ चल दिए। सुखिया के लड़के की तबीयत ज्यादा खराब थी। उसे तुरंत ही एक टैम्पो में लेकर डाक्टर के पास चल दिए। बाजार में डाक्टर से दवा दिलाने के साथ ही उसे सर्दी से बचने के लिए कपड़े की व्यवस्था भी कर दिए और सुखिया को उसके लड़के के साथ घर छोड़कर घर वापस आ गए थे।
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