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Maharshi Valmiki Kaun The ? / महर्षि वाल्मीकि कौन थे ?

मित्रों इस पोस्ट में Maharshi Valmiki Kaun The दिया जा रहा है। आप नीचे की लिंक से महर्षि वाल्मीकि कौन थे ? के बारे में विस्तार से जान पाएंगे। आप इस पोस्ट को जरूर पढ़ें।

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Maharshi Valmiki Kaun The  

 

 

 

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वाल्मीकि ऋषि का जन्म कब हुआ था ?

 

 

 

वाल्मीकि का जन्म आश्विन मास की पूर्णिमा के दिन हुआ था और इसी कारण इसी दिन को वाल्मीकि जयंती के रूप में जाना जाता है।

 

 

 

वाल्मीकि ऋषि किसके पुत्र थे ? / वाल्मीकि के पिता का क्या नाम था ?

 

 

 

कहा जाता है कि वाल्मीकि जी महर्षि कश्यप और अदिति के नौवे पुत्र प्रचेता के पुत्र थे। बचपन में उन्हें भील चुरा ले गया और इसी कारण उनका लालन-पालन भीलो की प्रजाति में हुआ।

 

 

 

वाल्मीकि जी के माता का क्या नाम था ?

 

 

 

वाल्मीकि जी के माता का नाम चर्षणी था।

 

 

वाल्मीकि जी के भाई का क्या नाम था ?

 

 

 

वाल्मीकि जी के भाई का नाम भृगु था।

 

 

 

वाल्मीकि जी का जन्म कहा हुआ था ?

 

 

 

वाल्मीकि जी का जन्म भारत (India) में हुआ था।

 

 

 

वाल्मीकि जी का असली नाम क्या था ?

 

 

 

वाल्मीकि जी का असली नाम डाकू रत्नाकर था।

 

 

रामायण की रचना किसने की थी ?/ रामायण के रचयिता कौन थे ?

 

 

 

रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी।

 

 

 

वाल्मीकि जी के गुरु कौन थे ?

 

 

 

वाल्मीकि जी के गुरु देवर्षि नारद थे क्योंकि गुरु वह होता है जो ज्ञान दे, सद्मार्ग दिखाए और देवर्षि नारद जी ने ही डाकू रत्नाकर को सद्मार्ग दिखाया और वे महर्षि वाल्मीकी बने।

 

 

 

आखिर महर्षि वाल्मीकि जी को रामायण लिखने की प्रेरणा कैसे मिली ?

 

 

 

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Maharshi Valmiki Kaun The
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जब नारद जी के अमृततुल्य वचनो को सुनकर महर्षि वाल्मीकि जी को अपने पाप का एहसास हुआ तो उन्हें बहुत ग्लानि हुई। उन्होंने सद्मार्ग पर जाने का निश्चय किया लेकिन उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था सो उन्होंने नारद जी से कहा, “हे गुरु ! आपने ही मुझे मेरे पापो का बोध कराया है अतः करबद्ध निवेदन है कि मुझे सद्मार्ग दिखाए।”

 

 

 

तब नारद जी ने उन्हें “राम-राम” जपने की सलाह दी। अज्ञानता के कारण वे “राम-राम” का उच्चारण ना करके “मरा-मरा” का उच्चारण करने लगे। बहुत दिनों तक वे ऐसे ही करते रहे। उनका शरीर बहुत ही दुर्बल हो गया। यह उनके पापो का भोग था और इसी कारण उनका नाम वाल्मीकि पड़ा।

 

 

अपने कठिन तप से उन्होंने ब्रह्मदेव को प्रसन्न किया और ब्रह्मदेव ने उन्हें दिव्यज्ञान दिया और रामायण लिखने को कहा। इस तरह से वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की।

 

 

 

 

महर्षि वाल्मीकि जी ने प्रथम श्लोक की रचना कब और कैसे की ?

 

 

 

 

एक बार जब वाल्मीकि जी गंगा तट पर तप कर रहे थे। तभी एक हंस के जोड़े को एक शिकारी ने घायल कर दिया और यह दृश्य देखकर स्वतः ही वाल्मीकि जी के मुंह से निम्नलिखित श्लोक निकल गया।

 

 

 

मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वतीः समाः। 

यत्क्रौचमियुनादेकम अवधीः काममोहितम।।

 

अर्थ – जिस भी पापी ने यह घृणित कार्य किया है उसके जीवन में कभी भी सुख नहीं आएगा। उसने पक्षी का वध किया है।

 

 

 

वाल्मीकि जयंती कब मनाई जाती है ?

 

 

 

वाल्मीकि जी का जन्म आश्विन माह की पूर्णिमा को हुआ था और इसी दिन को वाल्मीकि जयंती के रूप में मनाया जाता है।

 

 

 

वाल्मीकि जयंती कैसे मनाई जाती है ?

 

 

 

इस दिन पूरे देश भर में महर्षि वाल्मीकि जी के मंदिरो को सजाया जाता है। शोभायात्रा निकाली जाती है। जगह-जगह भंडारे का आयोजन किया जाता है। फल मिष्ठान आदि वितरित किए जाते है। इस दिन रामायण पाठ सुनना बहुत लाभकारी होता है। इस दिन महर्षि वाल्मीकि जी के जीवन पर आधारित तमाम कार्यक्रमों को दिखाया जाता है।

 

 

 

 

लव-कुश के गुरु कौन थे ?

 

 

 

श्री राम और माता सीता जी के पुत्र लव-कुश के गुरु महर्षि वाल्मीकि जी थे। जब भगवान श्री राम जी ने माता सीता को अयोध्या छोड़ने का आदेश दिया था तब माता सीता जी ने महर्षि वाल्मीकि जी के आश्रम में शरण लिया था और यही पर लव-कुश का जन्म हुआ और यही उनका लालन-पालन हुआ और उन्होंने विद्या ग्रहण की।

 

 

 

महर्षि वाल्मीकि जी की जीवनी 

 

 

 

नाम – महर्षि वाल्मीकि।

अन्य नाम – रत्नाकर, अग्नि शर्मा।

पिता का नाम – प्रचेता।

माता का नाम – चर्षणी।

रचना – वाल्मीकि रामायण।

 

 

 

 

Maharshi Valmiki quotes in Hindi (महर्षि वाल्मीकि के अनमोल विचार)  

 

 

 

 

1- अगर जीवन में आगे बढ़ना है तो संघर्ष जरुरी है।

2- किसी से मोह रखना आपके दुख का कारक हो सकता है।

3- आपकी मातृभूमि स्वर्ग से ज्यादा बड़ी है।

4- दृढ संकल्प से आप हर चीज हासिल कर सकते है।

5- संसार में बहुत कम लोग है जो आपके काम की बात करते है।

6- किसी से घृण भाव रखने से आप ही मैले होते है।

7- अगर महान बनना है तो चरित्र उच्च रखो।

 

 

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