Mahabharat in Hindi PDF महाभारत भारत का एक पौराणिक, ऐतिहासिक और दार्शनिक ग्रन्थ है। महाभारत ( Mahabharat Story PDF ) की रचना महर्षि वेद व्यास जी ने की है और भगवान श्री गणेश जी ने संस्कृत में लिखा है। इस काव्य में महर्षि वेद व्यास जी ने वेदों, वेदांगों और उपनिषदों के गूढ़ रहस्य का निरूपण किया है।
Mahabharat in Hindi Pdf Download
पुस्तक का नाम | सम्पूर्ण महाभारत |
पुस्तक के लेखक | महर्षि वेदव्यास |
पुस्तक की भाषा | हिंदी |
फॉर्मेट | |
श्रेणी | धार्मिक |
साइज | 271 Mb |
पृष्ठ | 1665 |
महाभारत में कितने पर्व हैं ?
मित्रों जो भी महाभारत ( Mahabharata PDF ) में वर्णित है वह संसार में आपको कहीं ना कहीं परिलक्षित होगा अवश्य होगा। पूरे महाभारत में लगभग 1,10,000 श्लोक है। महाभारत काव्य जय, भारत और महाभारत नाम से प्रसिद्ध है। Mahabharata में कुल 18 पर्व है।
1. आदि पर्व, 2. सभा पर्व, 3. वन पर्व, 4. विराट पर्व, 5. उद्योग पर्व, 6. भीष्म पर्व, 7. द्रोण पर्व, 8. कर्ण पर्व, 9. शल्य पर्व, 10. सौप्तिक पर्व, 11. स्त्री पर्व, 12. शांति पर्व, 13. अनुशासन पर्व, 14. आश्वमेधिक पर्व, 15. आश्रम वासिक पर्व, 16. मौसल पर्व, 17. महा प्रास्थनिक पर्व, 18. स्वर्गारोहण पर्व।
महाभारत काव्य के कुल 1948 अध्याय है। महाभारत को शत सहस्त्र संहिता भी कहा जाता है। महाभारत में वर्णित स्थल आज भी इसकी वास्तविकता को प्रमाणित करते है। महाभारत ( Mahabharat PDF ) में 18 अंक का बहुत महत्व है। महाभारत में 18 पर्व है। भगवद्गीता में 18 अध्याय है। भगवान श्री कृष्ण जी ने महान धनुर्धारी अर्जुन को 18 दिन तक ज्ञान दिया था।
कौरवों की 11 अक्षोहिणी और पांडवों की 7 अक्षोहिणी मिलाकर 18 अक्षोहिणी सेना थी। महाभारत युद्ध 18 दिन तक चला था और युद्ध की समाप्ति पर 18 योद्धा ही जीवित बचे थे। महाभारत के अनुसार “अपनी दृष्टि सरल रखो कुटिल नहीं, सत्य बोलो झूठ नहीं, दूरदर्शी बनो अल्पदर्शी नहीं। “
महाभारत के बारे में गांधीजी के कथन Mahabharat PDF in Hindi
Mahabharata बारे में Gandhi Ji ने कहा है, ” जब भी मुझे घोर निराशा होती है, मैं अविलम्ब भगवद्गीता के पास जाता हूँ और उसके श्लोकों को पढ़ते ही निराशा के बादल ऐसे छंट जाते है, जैसे सूर्य के उदय से अन्धकार दूर हो जाता है।
भगवद्गीता में श्री कृष्ण जी कहते है, “तुम कर्म करो, फल की चिंता मत करो। यह अधिकार तुम्हारा नहीं है। तुम्हारी रूचि सिर्फ कर्म करने में होनी चाहिए। कर्मों के चयन से ही फल निर्धारित होगा।”
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