नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Kritya Tantra Pdf Hindi देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Kritya Tantra Pdf Hindi Download कर सकते हैं।
Kritya Tantra Pdf Hindi / कृत्या तंत्र पीडीएफ

सिर्फ पढ़ने के लिये
दास तुलसी कहता है कवि और कोविद कहते है इनकी उपमा कही भी कोई नहीं है। बल, विनय, विद्या, शील और शोभा के समुद्र इनके समान केवल यही है।
जनकपुर की सब स्त्रियां अपना आंचल फैलते हुए विधाता को यह वचन विनती सुनाती है कि चारो भाइयो का विवाह इसी नगर में हो, और हमे सुंदर मंगल गाने का सौभाग्य प्राप्त हो।
311- दोहा का अर्थ-
अपने नेत्रों में प्रेम के आंसुओ को भरकर पुलकित शरीर से स्त्रियां आपस में कह रही है कि हे सखी! दोनों राजा पुण्य के समुद्र है, त्रिपुरारी शिव जी सब मनोरथ पूर्ण करेंगे।
चौपाई का अर्थ-
1- इस प्रकार से सब मनोरथ करते हुए अपने हृदय को उमंग से उत्साह से आनंद के साथ भर रही है। सीता जी के स्वयंवर में जो राजा आये थे उन्होंने भी चारो भाइयो को देखकर सुख प्राप्त किया।
2- श्री राम जी का निर्मल और महान यश का गान करते हुए सभी राजा अपने घर लौट गए। इस प्रकार से कुछ दिन बीत गए, जनक के निवासी और बाराती सभी बड़े ही आनंदित है।
3- मंगल मूल लगन का दिन आ गया, हेमंत ऋतु और सुहावना अगहन का महीना था। सब ग्रह, तिथि, नक्षत्र और वार अनुकूल और श्रेष्ठ स्थिति में थे। लग्न मुहूर्त देखकर ब्रह्मा जी उसपर विचार किया।
4- और उस लग्न पत्रिका को नारद जी के हाथ से जनक जी के पास भिजवा दिया। जनक जी के ज्योतिषियों ने भी वही गणना कर रखी थी।
312- दोहा का अर्थ-
निर्मल और सभी सुंदर मंगल की मूल गोधूलि की पवित्र बेला आ गई और सभी शकुन भी अनुकूल थे। यह जान ब्राह्मणो ने जनक जी से कहा।
मित्रों यह पोस्ट Kritya Tantra Pdf Hindi आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और इस तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें।