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Best 1 Ketu Kavacham In Hindi Pdf / केतु कवच इन हिंदी Pdf

नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Ketu Kavacham In Hindi Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Ketu Kavacham In Hindi Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां से  बृहस्पति कवच पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं।

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Ketu Kavacham In Hindi Pdf Download

 

 

 

पुस्तक का नाम  केतु कवच
पुस्तक के लेखक 
फॉर्मेट  PDF
पुस्तक की भाषा  संस्कृत 
श्रेणी  धार्मिक 
कुल पृष्ठ  4
साइज  0.50 MB 

 

 

केतु कवच इन हिंदी Pdf Download

 

चंद्र कवच Pdf Download

 

Ketu Kavach Lyrics Pdf

 

 

 

 

 

 

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केतु के बारे में

 

 

केतु ग्रह को अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र तीनो नक्षत्रो का स्वामी माना जाता है। केतु एक क्रूर ग्रह है और केतु के साथ राहु जातक की कुंडली में काल सर्प योग बनाता है।

 

 

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Ketu Kavacham In Hindi Pdf
Ketu Kavacham In Hindi Pdf
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जब केतु की दशा खराब रहती है तब मनुष्य के जीवन में बहुत कठिनाइयां आती है। केतु के प्रभाव से आपके काम रुक जाते है। अनावश्यक ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आप केतु कवच का पथ कर केतु को प्रसन्न कर सकते है।

 

 

 

केतु कवच के लाभ

 

 

 

1- केतु कवच के पाठ से आप केतु ग्रह के दुष्प्रभाव को कम कर सकते है।

2- केतु कवच और राहु कवच के पाठ से काल सर्प योग को कुछ कम किया जा सकता है।

3- केतु कवच केतु की महादशा और अंतर्दशा में लाभदायी होता है।

 

 

 

Ketu Kavacham In Hindi

 

 

 

।। केतुकवचम् ।।

ॐ अस्य श्रीकेतुकवचस्तोत्रमहामन्त्रस्य त्र्यम्बक ॠषिः ।

अनुष्टुप्छन्दः । केतुर्देवता ।

कं बीजं । नमः शक्तिः ।

केतुरिति कीलकम् ।

केतुकृत पीडा निवारणार्थे, सर्वरोगनिवारणार्थे,

सर्वशत्रुविनाशनार्थे, सर्वकार्यसिद्ध्यर्थे,

केतुप्रसादसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ।

 

श्रीगणेशाय नमः ।

केतुं करालवदनं चित्रवर्णं किरीटिनम् ।

प्रणमामि सदा केतुं ध्वजाकारं ग्रहेश्वरम् ॥ १॥

 

चित्रवर्णः शिरः पातु भालं धूम्रसमद्युतिः ।

पातु नेत्रे पिङ्गलाक्षः श्रुती मे रक्तलोचनः ॥ २॥

 

घ्राणं पातु सुवर्णाभश्चिबुकं सिंहिकासुतः ।

पातु कण्ठं च मे केतुः स्कन्धौ पातु ग्रहाधिपः ॥ ३॥

 

हस्तौ पातु सुरश्रेष्ठः कुक्षिं पातु महाग्रहः ।

सिंहासनः कटिं पातु मध्यं पातु महासुरः ॥ ४॥

 

ऊरू पातु महाशीर्षो जानुनी मेऽतिकोपनः ।

पातु पादौ च मे क्रूरः सर्वाङ्गं नरपिङ्गलः ॥ ५॥

 

य इदं कवचं दिव्यं सर्वरोगविनाशनम् ।

सर्वशत्रुविनाशं च धारणाद्विजयी भवेत् ॥ ६॥

 

॥ इति श्रीब्रह्माण्डपुराणे केतुकवचं सम्पूर्णम् ॥

 

 

 

 

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