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Kashi Khand Granth Pdf / काशी खंड ग्रंथ पीडीएफ


सिर्फ पढ़ने के लिए
5- ऐसे पति का भी अपमान करने से स्त्री यमपुर में अनेक प्रकार के दुःख प्राप्त करती है। शरीर, वचन और मन से पति के चरणों में प्रेम करना स्त्री के लिए बस यही एक धर्म है एक ही व्रत है और एक ही नियम है।
6- जगत में चार प्रकार की पति व्रताये है। वेद पुराण सब संत ऐसा कहते है कि उत्तम श्रेणी की पतिव्रता के मन में ऐसा भाव रहता है कि जगत में दूसरा पुरुष स्वप्न में भी नहीं है।
7- मध्यम श्रेणी की पतिव्रता स्त्रियां पराये पति को अपने सगा भाई, पिता या पुत्र के समान देखती है अर्थात समान अवस्था वाला भाई के रूप में, बड़ी आयु वाले को पिता के रूप में छोटी आयु वाले को पुत्र के रूप में देखती है। जो धर्म का विचार करते हुए और अपने कुल की मर्यादा समझकर बची रहती है। और जो स्त्री मौका न मिलने से या भयवश पतिव्रता बनी रहती है उसे समझना चाहिए।
9- क्षण भर के सुख के लिए जो सौ करोड़ जन्मो के दुःख को नहीं समझती उसके समान कौन होगी। जो स्त्री छल छोड़कर पतिव्रत धर्म को ग्रहण करती है वह बिना परिश्रम के ही परम गति को प्राप्त करती है। किन्तु जो पति के प्रतिकूल चलती है उसे जहां भी जन्म मिलता है
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