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Kamleshwar Prasad Books Pdf Hindi Free / कमलेश्वर प्रसाद बुक्स पीडीएफ

मित्रों इस पोस्ट में Kamleshwar Prasad Books Pdf Hindi Free दिया जा रहा है। आप नीचे की लिंक से कमलेश्वर प्रसाद बुक्स पीडीएफ फ्री डाउनलोड कर सकते हैं।

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Kamleshwar Prasad Books Pdf Hindi Free कमलेश्वर प्रसाद बुक्स पीडीएफ 

 

 

 

 

 

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Kamleshwar Prasad Books Pdf Hindi Free
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किसान हिंदी कहानी 

 

 

 

एक किसान के जीवन में तरह-तरह की समस्या आती है क्या किसान खेती करना बंद कर देता है ? कभी उसे बीज नहीं मिल पाता कभी समय पर खाद नहीं मिलती कभी सिंचाई की समस्या। अगर इन सबसे बच गया तो प्राकृतिक समस्या, फिर भी किसान अपनी हर समस्याओं से दो हाथ करने को तैयार रहता है।

 

 

 

 

विनोद एक किसान था। उसने अपने खेत में चने बोए थे। पेड़ों पर बैठे बंदरों ने उसे चने बोते हुए देख लिया था। विनोद जब घर गया तो बंदरों ने उसके खेत से चने कुदेर कर निकाला और खाने लगे। कुछ दिन बाद विनोद ने खेत में पानी भर दिया अब बन्दर कींचड़ की डर से खेत में नहीं आते थे।

 

 

 

 

चना अब फलने लगा बंदरों की समस्या फिर उत्पन्न हो गई। विनोद ने अपने कुत्ते को चौकीदारी पर लगा दिया, कुत्ता और बन्दर दोनों एक दूसरे के लिए अजनबी थे। जब भी वे चने खाने के लिए आते कुत्ता बंदरों को दौड़ता और बन्दर भाग जाते। कुत्ते की चौकीदारी से चने की रखवाली हो गई। चना तैयार हो गया था, विनोद ने चना काट लिया। अब प्रकृतिक समस्या की बारी थी।

 

 

 

 

 

बरसात हो गई। दो दिन सूखाने के पश्चात् फिर चने की मड़ाई करके दाना निकाला जा सका। अगर विनोद समस्याओ से दो हाथ नहीं करता तब उसे चने का एक दाना भी हाथ नहीं लगता।

 

 

 

 

 

Moral Of This Story -समस्याओं से भागकर नहीं लड़कर जीता जा सकता है।

 

 

 

एक हट्टा – कट्टा पहलवान एक रेलवे स्टेशन पर उतरा।  वह टैक्सी स्टैंड पर आया और बोला, ”  मुझे हनुमान मंदिर जाना है।  कितने पैसे होंगे ? ”

 

 

 

 

टैक्सी वाले ने कहा, ” २०० रुपये लगेंगे।  ” उस पहलवान ने कहा, ” मंदिर तो पास में ही है।  आप २०० रुपये मांग रहे हैं।  ययह तो सरासर लूट है।  इससे अच्छा तो मैं पैदल ही चला जाऊंगा।

 

 

 

 

उसके बाद उसने सामान उठाया और जाने लगा।  काफी दूर चलने पर उसे थकान महसूस होने लगी और मंदिर भी नहीं दिखाई दे रहा था, तभी उसे फिर से वही टैक्सी वाला मिल गया।

 

 

 

 

 

उस व्यक्ति ने टैक्सी वाले से कहा, ” भाईसाहब, अब तो मैंने काफी दूरी पैदल ही तय कर ली है।  अब आप कितना पैसा लेंगे ? ” इसपर टैक्सी वाले ने कहा, ” महाशय अब ३५० रुपये होंगे।  ”

 

 

 

 

यह सुनकर पहलवान गुस्से से बोला, ” यह क्या बात है भाई।  पहले आपने २०० बताया और अब जब मैं काफी दूरी  तय कर चुका हूँ तो आप ३५० बता रहे हैं। ”

 

 

 

 

 

इसपर टैक्सी वाले ने कहा, ” महोदय आप विपरीत दिशा में जा रहे हैं।  मंदिर तो दूसरी तरफ है। ” इसके बाद उस व्यक्ति ने कुछ भी नहीं कहा और चुपचाप टैक्सी में बैठ गया।

 

 

 

 

Moral – इसी तरह जीवन में कई बार हम किसी भी चीज को बिना सोचे – समझे शुरू कर देते हैं और फिर उसमें हमारा समय और मेहनत बर्बाद होती है।  इसीलिए एक बात हमेशा याद रखें कि सही दिशा होने पर ही मेहनत रंग लाती है।  यदि दिशा ही गलत हो तो इसका कोई भी लाभ नहीं होगा। 

 

 

 

 

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