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कबीर बीजक ग्रंथ Pdf / Kabir Bijak PDF In Hindi

नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Kabir Bijak PDF In Hindi देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Kabir Bijak PDF In Hindi download कर सकते हैं और आप यहां से Hindi Jokes PDF कर सकते हैं।

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Kabir Bijak PDF In Hindi Free Download

 

 

 

हारे विमुखी सब धमिन काहों । कद्यो अधर्म अखंड सदाहीं ! योग यज्ञ तप दान अचारा । राम भजन विन कह्यों असारा॥ क्यो. रमेनी साखी जेती | अटपट अर्थ शाखमय तेती ॥ जो बीमकको ग्रंथ बनायो | तासु तिरछूक मो पितु निरमायो ॥ आगे कहिहों मति अनुसारा । पुरुष पुरुष बंश विस्तारा ।।

 

 

 

भी कबीरणी को हइतिहासू। पूर्व पूरषः मम वर्णन तासू ॥ निन कुछ वर्णत छागति छाजू । जनि हैं अस सब समाति समाज |। निमकुलकोा महत्व. प्रमाटायो | गाथा सकछ सपा मर गायों ।। पे श्रेता सब यदुपति दासा। ताते छागति कछ नहिं ब्ासा ।॥ सहि छेहँँ सब मारे ठिठाईं। में न सषा पभता कछ गाईं ॥

 

 

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जूस कभश्ीर वष्यों निजग्रेथा । वणा निमकुछ सेोई पंथा ॥ और कबीर कथा सुखदाई। प्रियादास नाभा जस गाई ॥ रामानद्‌ रहे जग स्वामी । ध्यावत निशि दिन आअतयीमी ॥ तिनके दिगे विधवा इक नारी | सेवा करे बड़ो श्रमघारी ॥ प्र यक दिन रह ध्यान छगाई। विधवा तिय [तिनके टिंगे आईं ॥

 

 

 

प्रभाहे किया वेदन बिन दोषा | प्रभु कह पत्रवती भारे घोषा ॥ तब तिय अपनों नाम बखाना | यह विपरीत दियो बरदाना ॥ स्वामी कह्यों निकाले मुख आयो | पुत्रवती हरि तोहिं बनायो ॥ भ प है हैं पुत्र कछेक न छागी। तब सुत है है हारे अनुरागी ॥ तब तिय कर फुछका परि आयो । कछु दिनंमें ताते सुत जायो ॥

 

 

 

जनत पृत्र नभ बने नगारा। तदपि जनाने उर सोच अपारा ॥ सो सुत ले तिय फेंक्यो दूरी। कढ़ी नोहछाहिन तह यक रूरी ॥ सो बाठलकहि अनाथ निहारी | गोद राखि निन भवन सिधारी ॥ ठालन पालन किय बहुभौती । सेयो सुतहि नारि दिन रांती ॥ पुनि कबीर वोल्यों अस वानी । मोहिं मलेच्छ लियो ग्रुरु जानी ॥

 

 

 

रामानंद मंत्र नहिं देंहें।पै उपाय हम कछु रचि हैंहें ॥ अस कहि गंगा तीरें आयो। सीटी तर निज वेष छुपायो ॥ मज्जन हित रामानद आगे । तेहि जेंगुरी निन चरण चपाये ॥ रोय उठयो तहँ तुरत कबीरा। रामानंद क्यो मतिषीरा ॥ राम राम कहु रोवे नाहीं। ग॒न्यो कबीर: मंत्र सोह काहीं ॥

 

 

 

रामानंदी तिररकहि धारयो । मार पहिरि मुख राम उचारयों ॥ मातपिता मान्यो बौराना। रामानंदहि वचन बखाना ॥ याकोी प्रभु किमि वेकछ॒वायों। राम कहत सब काज भुछायो ॥ रामांद कबीर बोछायों | ताके बिच परदा बँधवायों ॥ कही मंत्र तोकी कब दौीन्‍्हों । कह्यों कबीर जोन बिधि कीन्हो ॥ ग़मनाम सब शासन सारा। वार तीनि मोहिं कियो उचारा ॥

 

 

 

Kabir Bijak PDF In Hindi Download

 

 

 

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Kabir Bijak PDF In Hindi
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पुस्तक का नाम  Kabir Bijak PDF In Hindi
पुस्तक के लेखक  कबीर 
भाषा  हिंदी 
साइज  59.4 Mb 
पृष्ठ  766 
श्रेणी  काव्य 
फॉर्मेट  Pdf 

 

 

 

 

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