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Jain Vivah Vidhi Pdf / जैन विवाह विधि पीडीएफ

सिर्फ पढ़ने के लिए
श्री राम जी के चरणों में प्रीति दृढ करके बालि ने अपने शरीर इतनी आसानी से त्याग दिया जैसे हाथी अपने गले से फूलो की माला का गिरना नहीं जानता।
चौपाई का अर्थ-
श्री राम जी ने बालि को अपने परम धाम भेज दिया। नगर के सब लोग व्याकुल होकर दौड़े। बालि की स्त्री तारा अनेक प्रकार से विलाप करने लगी। उसके बाल बिखरे हुए है। उसे अपने देह की सुधि नहीं है।
तारा को व्याकुल देखकर श्री रघुनाथ जी ने उसे ज्ञान दिया और उसकी माया को हर लिया। उन्होंने कहा – पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु इन पांच तत्वों से यह अधम शरीर रचा गया है।
यह शरीर तो प्रत्यक्ष ही तुम्हारे सामने सोया हुआ है और जीव नित्य है फिर तुम किसके लिए रो रही हो? जब तारा को ज्ञान उत्पन्न हो गया तो वह भगवान के चरणों में लगते हुए परम भक्ति का वरदान मांग लिया।
शिव जी कहते है कि हे उमा! स्वामी श्री राम जी सबको कठपुतली की तरह नचाते है। तदनन्तर श्री राम जी ने सुग्रीव को आज्ञा दी और सुग्रीव ने बालि का विधि पूर्वक सब कर्म किया।
तब श्री राम जी ने छोटे भाई लक्ष्मण को समझाकर कहा कि तुम जाकर सुग्रीव को राज्य दे दो। श्री रघुनाथ जी की प्रेरणा सब लोग श्री रघुनाथ जी के चरणों में मस्तक नवाकर चले।
11- दोहा का अर्थ-
लक्ष्मण जी ने तुरंत ही सब नगरवासियो को और ब्राह्मण समाज को बुला लिया और उनके सामने सुग्रीव को राज्य और अंगद को युवराज पद दिया।
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