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Jain Pooja Sangrah Pdf / जैन पूजा संग्रह पीडीएफ
सिर्फ पढ़ने के लिए
शरद-ऋतु आने पर राजा, तपस्वी, व्यापारी और भिखारी क्रमशः विजय, तप, व्यापार और भिक्षाटन के लिए हर्षित होकर नगर छोड़कर चले जाते है। जैसे श्री हरि की भक्ति मिलने पर चारो आश्रम वाले नाना प्रकार के साधन रूपी श्रम को त्याग देते है।
चौपाई का अर्थ-
जो मछलियां अथाह जल में है वह सुखी है जैसे श्री हरि के शरण में जाने पर एक भी बाधा नहीं रहती है। कमल के फूलो को खिलने से तालाब ऐसे शोभायमान हो रहा है जैसे निर्गुण ब्रह्म सगुण होने पर शोभायमान होता है।
भौरे अनुपम शब्द से गुंजार कर रहे है तथा पक्षियों के नाना प्रकार के सुंदर शब्द हो रहे है। रात्रि को देखकर चकवा के मन में वैसा ही दुःख हो रहा है जैसे दूसरे की संपत्ति देखकर लोभी को दुःख होता है।
पपीहा रट लगाए हुए है उसको बहुत प्यास लगी है। शरद ऋतु के ताप को रात के समय चन्द्रमा हर लेता है जैसे संतो के दर्शन से सब पाप दूर हो जाते है।
चकोर के समुदाय चन्द्रमा को देखकर इस प्रकार टकटकी लगाए हुए है जैसे भगवद्भक्त भगवान को देखकर निर्निमेष नेत्रों से दर्शन करते है। मच्छर और दंस जाड़े के डर से इस प्रकार नष्ट हो गए जैसे ब्राह्मण के साथ वैर करने से कुल का नाश हो जाता है।
17- दोहा का अर्थ-
वर्षा ऋतु के कारण जो जीव पृथ्वी पर भर गए थे वह शरद ऋतु के आने पर वैसे नष्ट हो गए जैसे सद्गुरु के मिल जाने पर संदेह और भ्रम के समूह नष्ट हो जाते है।
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