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Jain Padma Puran Pdf / जैन पद्म पुराण पीडीएफ

सिर्फ पढ़ने के लिए
उस झील के निकट मुनियो ने आश्रम बना रखे है। उसके चारो ओर सुंदर वृक्ष है। चम्पा, मौलसिरी, कदम्ब, तमाल, पाटल, कटहल, ढाक और आम आदि।
बहुत प्रकार के वृक्ष नए-नए पत्तो और सुगंधित पुष्पों से युक्त है। जिनपर भौरो के समूह संजर कर रहे है। स्वभाव से ही शीतल, मंद, सुगंधित एवं मन को हरने वाली हवा सदा बहती रहती है। कोयले कुहू-कुहू का शब्द कर रही है। उनकी रसीली बोली सुनकर मुनियो का भी ध्यान छूट जाता है।
40- दोहा का अर्थ-
फलों के भार से झुककर सारे वृक्ष पृथ्वी के पास आकर लग गए है। जैसे परोपकारी पुरुष बहुत सम्पत्ति मिलने पर झुक जाते है।
चौपाई का अर्थ-
श्री राम जी ने अत्यंत सुंदर तालाब देखकर स्नान किया और परम सुख पाया। एक सुंदर उत्तम वृक्ष की छाया देखकर श्री रघुनाथ जी छोटे भाई लक्ष्मण जी के साथ बैठ गए।
फिर वहां सब देवता और मुनि आये और स्तुति करके अपने-अपने धाम को चले गए। कृपालु श्री राम जी परम प्रसन्न होकर बैठे हुए छोटे भाई लक्ष्मण जी से रसीली कथाये कह रहे है।
भगवान को विरह युक्त देखकर नारद जी के मन में विशेष रूप से सोच हुआ। उन्होंने विचार किया कि मेरे शाप लप स्वीकार करने के कारण ही श्री राम जी नाना प्रकार के दुखो का भार सह रहे है।
ऐसे भक्त वत्सल को जाकर देखूं। फिर ऐसा अवसर प्राप्त नहीं होगा। यह विचारकर नारद जी हाथ में वीणा लिए हुए वहां गए जहां प्रभु सुख पूर्वक बैठे हुए थे।
वह कोमल वाणी से बहुत प्रकार से बड़ाई करते हुए प्रेम से राम चरित का गान करते हुए चले आ रहे थे। डंडवत करते देखकर श्री राम जी ने नारद जी को उठा लिया और बहुत देर तक अपने हृदय से लगाए रखा। फिर स्वागत कुशल पूछकर पास बैठा लिया। लक्ष्मण जी ने आदर के साथ उनके चरण धोये।
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