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जैन कथा संग्रह पीडीऍफ़ डाउनलोड भाग 1

जैन कथा संग्रह पीडीऍफ़ डाउनलोड भाग 2
Jain Katha Sangrah Pdf / जैन कथा संग्रह पीडीएफ
सिर्फ पढ़ने के लिए
और कहला दो कि जो एक पखवाड़े में जो नहीं आएगा उसको यहां से भगा दिया जायेगा। तब हनुमान जी ने दूतो को बुलाया और सबका सम्मान करके सब भय प्रीति और नीति दिखलाई। सब बंदर चरणों में सिर नवाकर चले उसी समय लक्ष्मण जी नगर में आये। उनका क्रोध देखकर सब बंदर जहां-तहां भाग चले।
19- दोहा का अर्थ-
तदनन्तर लक्ष्मण जी ने कहा कि अभी तुम लोगो को यहां से भगा दूंगा। तब सारे नगर को व्याकुल देखकर बालि पुत्र अंगद जी उनके पास आये।
चौपाई का अर्थ-
अंगद ने उनके चरणों में सिर नवाकर क्षमा याचना किया। तब लक्ष्मण जी ने उसको भुजा उठाकर अभय कर दिया। सुग्रीव भय से अत्यंत व्याकुल कहा।
हे हनुमान सुनो, तुम तारा को साथ ले जाकर विनती करके राजकुमार को समझा बुझाकर शांत करो। हनुमान जी ने तारा को साथ लेकर लक्ष्मण जी की चरण वंदना किया और प्रभु के सुंदर यश का बखान किया।
वह विनती करके उन्हें महल में ले आये तथा उनके चरण धोकर उनको पलंग पर बैठाया। तब वानर राज सुग्रीव ने उनके चरणों में सिर नवाया और लक्ष्मण जी ने हाथ पकड़कर उनको गले से लगा लिया।
सुग्रीव ने कहा – हे नाथ! विषय के समान और कोई मद नहीं है। वह मुनियो के मन में भी क्षण मात्र के लिए मोह उत्पन्न कर देता है। फिर मैं तो विषयी जीव ठहरा।
सुग्रीव के विनय युक्त वचन सुनकर लक्ष्मण जी ने सुख प्राप्त किया और उनको बहुत प्रकार से समझाया। तब पवनसुत हनुमान जी ने जिस प्रकार सब दिशाओ में दूतो के समूह गए थे वह सब हाल सुनाया।
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