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लक्ष्मण जी और जानकी जी सहित प्रभु श्री राम जी सुंदर घास पत्तो के घर में शोभायमान है, मानो कामदेव मुनि का वेश धारण करके पत्नी रति और बसंत ऋतु के साथ सुशोभित हो।
चौपाई का अर्थ-
1- उस समय देवता, दिग्पाल चित्रकूट में आये। श्री राम जी ने सब किसी को प्रणाम किया। देवता नेत्र का लाभ पाकर आनंदित हुए। फूलो की वर्षा करते हुए देव समाज ने कहा – हे नाथ! आज हम आपका दर्शन पाकर सनाथ हो गए, फिर उन्होंने अपने दुःसाध्य दुःख को श्री राम जी से कह सुनाया और दुखो के नाश का आश्वासन मिलने पर हर्षित होकर अपने स्थान को चले गए।
3- श्री राम जी को चित्रकूट में आकर बसने का समाचार सुनकर बहुत से मुनि आये। रघुकुल के चन्द्रमा श्री राम जी मुदित हुई मुनि मंडली को आते हुए देखकर दंडवत प्रणाम किया।
4- मुनिगण श्री राम जी को हृदय से लगाकर सफल होने के लिए आशीर्वाद दिए। वह सीता जी, लक्ष्मण जी और श्री राम जी की छवि को देखकर अपने सारे साधन को सफल हुआ समझते है।
134- दोहा का अर्थ-
प्रभु श्री राम जी यथा योग्य सभी मुनियो का सम्मान करके उन्हें विदा किया। श्री राम जी के आने से वह सब मुनिगण अपने-अपने आश्रम में स्वतंत्रता पूर्वक योग, जप, यज्ञ, तप करने लगे।
श्री राम जी के आने का समाचार जब पाया तो वह ऐसे हर्षित हुए मानो नव निधि उनके घर आ गयी हो। वह फल पात्र (दोना) में फल भरकर चले, मानो चले हो।