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Hindi Story Pdf Free हिंदी स्टोरी Pdf Free Download
1- झूठी ख्याति
2- सबसे बड़ा धन
3- अहंकार
4- बदमाश बंदर
5- नसीब
7- सीरियल की लत
8- वंश बेल
9- सच्चा साथी
10- लकड़हारा
11- ईमानदारी का फल
12- सच्ची दोस्ती
14- बुरा सोचने का फल
15- गलती का एहसास
गधा बेचना है Story in Hindi Pdf
एक रामू नाम का कुम्हार था। उसके पास दो गधे थे। वह उन गधो से मिट्टी लादकर ले आता था और बर्तन बनाकर बाजार में बेच देता था। उस मिट्टी के बर्तन से जो आय हो जाती उसी में अपना गुजारा करता था।
रामू का एक गधा बहुत कामचोर था। वह रामू का बहुत नुकसान करता था। कभी मिट्टी लादते समय उछल जाता कभी बर्तन लेकर जाते समय मिट्टी के बर्तनो को गिरा देता था।
जिससे रामू के बर्तन टूट जाते थे और उसे बहुत हानि उठानी पड़ती थी। इसलिए रामू उससे कोई काम नहीं लेता था और चिढ़कर गधे को मारता था।
गधा मार खा कर भी खुश था क्योंकि उसे काम नहीं करना पड़ता था और कम ही सही खाना भी मिल जाता था। एक दिन रामू अपने घर के सामने एक बोर्ड लिखकर टांग दिया।
उसपर लिखा था ‘गधा बेचना है।’ एक दिन खुशीराम नामक धोबी अपने गधो पर कपड़ा लादकर जा रहा था तो उसकी निगाह उस बोर्ड के ऊपर पड़ी जिसपर लिखा था ‘गधा बेचना है।’
खुशीराम ने रामू को आवाज लगाई। रामू आवाज सुनकर बाहर आया और पूछने लगा, “क्या बात है ?”
खुशीराम बोला, “हमे एक गधे की आवश्यकता है क्या तुम अपने गधे को बेचोगे ?”
रामू बोला, “अवश्य ही बेचूंगा लेकिन सोच लो तुम चाहे जो भी पैसे दोगे मैं ले लूंगा। लेकिन बेचने के बाद मैं इस गधे को वापस नहीं लूंगा क्योंकि यह गधा आलसी है।”
खुशीराम ने कम कीमत देकर रामू के गधे को खरीद लिया। सोचा कि उसे सुधारकर फायदे में आ जाऊंगा। उधर रामू आलसी गधे को बेचकर खुश था कि उसकी मुसीबत टल गई।
खुशीराम अपने गधे के बीच नए गधे को बांध दिया था। रात में खुशीराम की नींद खुल गई तो देखा सभी गधे तो आपस में बात कर रहे है।
आलसी गधा बोला, “मैं अपने मालिक के पास कुछ भी नहीं करता था लेकिन मुझे खाने के लिए घास अवश्य ही मिलती थी और साथ में डंडा भी।”
खुशीराम का गधा बोला, “तब यहां क्यों मरने के लिए आ गया। यहां तो मेहनत भी करनी पड़ती है खाना भी ढंग से नहीं मिलता और साथ में डंडा भी खाना पड़ता है।”
आलसी गधा बोला, “तुम्हारे मालिक ने हमारे मालिक को पूरा पैसा भी नहीं दिया है।”
खुशीराम का गधा बोला, “ठीक है तुम्हे कल ही यहां का माहौल पता लग जाएगा।”
दूसरे दिन खुशीराम ने आलसी गधे को काम पर लगा दिया। लेकिन आलसी गधे ने खुशीराम का अपने स्वभाव के अनुसार कपड़ो के गट्ठर को पानी में गिरा दिया।
अब तो खुशीराम ने उस आलसी गधे को खूब मारा और रामू के पास आलसी गधे को वापस कर दिया और बिना पैसे लिए ही वापस चला गया।
अब आलसी गधे ने अपनी आदत को बदल दिया था और खूब मन लगाकर रामू के साथ काम करता था। आलसी गधे की बदली हुई आदत देखकर रामू हैरान भी था और खुश भी।
हैरान इसलिए कि गधा सुधर गया था और खुश इसलिए कि भले कम ही सही पैसे लौटाने की नौबत नहीं आई थी।
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