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Hanuman Vadvanal Stotra Pdf Download

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सिर्फ पढ़ने के लिए
हमारे रहने पर मालिक सिर्फ तीन महीने ही जीवित थे। उनके नहीं रहने पर मैंने उनके कारोबार को कुशलता से अगर नही संभाला होता तब सब कुछ चौपट हो जाता। उन्होंने मुझे ढाई हजार रुपये पर रखा था। उन्हें आदमियों की बहुत अच्छी परख थी।
एक महीने में ही उन्होंने साढ़े तीन हजार कर दिया। आप लोगो के आशीर्वाद से हमने उन्हें पहले महीने में ही पंद्रह हजार कमाकर दिए थे। प्रिया ने पूछ लिया – क्या काम करना पड़ता है? राजेश ने प्रिया को जवाब देते हुए कहा – वही एजेंट का काम है कई तरह की मशीन मंगाकर उन्हें बेचना पड़ता है।
प्रिया का मनहूस घर आ गया था। उसके पति नरेंद्र लालटेन की मंद रोशनी में अपने बरामदे में टहल रहे थे। मगर प्रिया ने राजेश को गाड़ी से उतरने का आग्रह नहीं किया। शिष्टाचार निभाने के लिए एक बार जरूर कहा था पर अधिक प्रयास नहीं किया था।
उसके पति नरेंद्र तो राजेश से मिलने की इच्छा भी नहीं प्रकट किया। प्रिया के घर पहुँचते ही उसके दोनों लड़के अम्मा-अम्मा करके दौड़े लेकिन उसने उन दोनों को झिड़क दिया। वह किसी से बात नहीं करेगी। उसके सिर में दर्द है कोई उसे परेशान न करे।
एक लंगड़ी मेज और दो चार टूटी तिपाइयाँ और दो चार पुरानी खाट यही इस घर की विसात थी। आज सुबह तक प्रिया इस घर में खुश थी पर यही घर उसे अब खाने के लिए दौड़ता है। अभी तक घर में खाना भी नहीं पका है पकाता कौन?
लड़को ने तो दूध पी लिया है किन्तु नरेंद्र ने अभी तक कुछ नहीं खाया है। वह इसी प्रतीक्षा में थे कि प्रिया आकर खाना पकाएगी। लेकिन प्रिया के सिर में दर्द होने के कारण अब बाजार से उन्हें पूरियां लानी पड़ेगी। प्रिया ने नरेंद्र का तिरस्कार करते हुए कहा – तुम अब तक मेरी प्रतीक्षा क्यों कर रहे थे।
मैंने खाना पकाने की नौकरी नहीं लिखाई है अगर रात को वही रुक जाती तब? आखिर तुम खाना पकाने के लिए कोई महराजिन क्यों नहीं रख लेते? जिंदगी भर क्या मुझे ही पीसते रहोगे? नरेंद्र आहत होकर प्रिया की तरफ विस्मय आँखों से देखा।
उन्होंने कई बार उससे महराजिन रखने का प्रस्ताव खुद किया था पर उसका बराबर यही जवाब होता था कि आखिर मैं बैठे बैठे क्या करुँगी? प्रिया के बिगड़ने का कोई भी कारण उनकी समझ में नहीं आया। प्रिया से उन्हें सदैव ही निरापद सहयोग मिला था।
निरापद सहयोग ही नहीं सहानुभूति भी नहीं मिली थी। प्रिया के अनुसार चार पांच रुपये का खर्च बढ़ाने से कोई फायदा नहीं था और यही पैसे बच्चो के लिए मक्खन में खर्च होते है और वही प्रिया आज इतनी निर्ममता और गुस्से से भरी उलाहना दे रही है।
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