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Hanuman Mantra Pdf / हनुमान मंत्र पीडीएफ
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यहां सुबेल पर्वत पर प्रातः काल श्री रघुनाथ जी जागे और उन्होंने सब मंत्रियों को बुलाकर सलाह पूछी कि शीघ्र बताइये अब क्या उपाय करना चाहिए? जांबवंत ने श्री राम जी के चरणों में सिर नवाकर कहा।
हे सर्वज्ञ! सब कुछ जानने वाले, हे सबके हृदय में बसने वाले अन्तर्यामी हे बुद्धि, बल, तेज, धर्म और गुण की राशि! सुनिए, मैं अपनी बुद्धि के अनुसार ही सलाह देता हूँ कि बालि कुमार अंगद को दूत बनाकर पठाया जाना चाहिए।
यह अच्छी सलाह सबके मन में जच गयी कृपा निधान श्री राम जी ने अंगद से कहा – हे बल, बुद्धि और गुण के धाम बालि पुत्र! हे तात! तुम मेरे कार्य के लिए लंका जाओ।
तुमको बहुत समझा कर क्या कहूं! मैं जानता हूँ तुम परम चतुर हो। शत्रु से वही बात-चीत करना जिससे हमारा कार्य हो और उसका कल्याण हो।
17- चौपाई का अर्थ-
प्रभु की आज्ञा शिरोधार्य करके और उनकी चरण वंदना करके अंगद जी उठे और बोले – हे भगवान श्री राम जी! आप जिसपर कृपा करे वही गुणों का सागर हो जाता है।
स्वामी के सब कार्य अपने आप ही सिद्ध है। यह तो प्रभु ने मुझको आदर दिया है जो मुझे अपने कार्य हेतु भेज रहे है। ऐसा विचारकर युवराज अंगद का हृदय हर्षित और शरीर पुलकित हो गया।
चौपाई का अर्थ-
चरण वंदना करके और प्रभु भगवान की प्रभुता को हृदय में रखकर अंगद सबको सिर नवाकर चले। प्रभु के प्रताप को हृदय में धारण करके रणबांकुरे वीर बालि पुत्र स्वाभाविक ही निर्भय है।
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