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शारदीय नवरात्रि और वासंतिक नवरात्रि पर्व प्रायः सभी जन मानक के मन के ऊपर अपना प्रभाव स्थापित करता है। शारदीय नवरात्रि तथा वासंतिक नवरात्रि में भगवती के नौ स्वरूपों की उपासना का विधान है पर गुप्त नवरात्रि में भगवती के दस महाविद्या की उपासना किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रृंगी ऋषि ने अपने एक भक्त को गुप्त नवरात्रि का महत्व बताया था।
प्राचीन मान्यता के अनुसार श्रृंगी ऋषि एक समय अपने भक्तो के मध्य में विराजमान होकर उनका शंका समाधान कर रहे थे। सभी के मध्य एक स्त्री भी श्रृंगी ऋषि के पावन वचन श्रवण कर रही थी। वह स्त्री अपने पति से बहुत व्यथित थी। श्रृंगी ऋषि के समक्ष उपस्थित होकर वह अपनी व्यथा कहने लगी।
श्रृंगी ऋषि उस स्त्री की व्यथा सुनकर बहुत द्रवित हो उठे तथा उन्होंने उस स्त्री से कहा – पुत्री! तुम गुप्त नवरात्रि में माता भगवती की उपासना करो तुम्हारे सभी मनोरथ अवश्य सिद्ध होंगे। वह स्त्री बोली – मुनिवर! मैं माता भगवती की उपासना करना चाहती हूँ परन्तु मेरा पति व्यसनी और तामसी है।
उसके तामसी होने से हमारी उपासना सफल नहीं होती है जबकि मैं पूर्ण समर्पण के साथ भगवती की उपासना में दृढ रहती हूँ। श्रृंगी ऋषि उस स्त्री के भक्ति भाव से बहुत प्रसन्न हुए और बोले – पुत्री! तुम सर्वेश्वरकारिणी देवी की उपासना करो तुम्हारा कल्याण होगा।
सर्वेश्वरकारिणी देवी गुप्त नवरात्रि की अधिष्ठात्री देवी है उनकी उपासना से उनके भक्तो के सभी मनोरथ पूर्ण होते है। इन सर्वेश्वरकारिणी देवी की उपासना गुप्त नवरात्रि में की जाती है जो अपने भक्त को अभयदान के साथ उनकी सभी इच्छाओ को पूर्ण करती है।
श्रृंगी ऋषि बोले – जो व्यक्ति कभी पूजा पाठ नहीं कर सकता है तथा लोभ, काम, व्यसन के वशीभूत है यदि ऐसा व्यक्ति यदि गुप्त नवरात्रि में भगवती की पूजा करता है तो उसे अपने जीवन में अन्य कुछ करने की आवश्यकता नहीं रह जाती है। श्रृंगी ऋषि का वचन मानकर वह स्त्री पूर्ण श्रद्धा के साथ गुप्त नवरात्रि उपासना करने लगी।
माता भगवती उसके ऊपर प्रसन्न हुई तथा उसके जीवन में शनैः-शनैः परिवर्तन होने लगा तथा उसके पति के सभी अनुचित व्यसन छूट गए। गुप्त नवरात्रि में भगवती की पूजा करने से उसके जीवन में सुख और सम्पन्नता का पुनः संचार हो गया।
Pdf Books Name | Gupt Navratri Pdf |
भाषा | हिन्दी |
कुल पृष्ठ | 21 |
PDF साइज़ | 0.4 MB |
Category | Vrat Katha |
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