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Gotra Pravara Manjari Hindi Pdf


सिर्फ पढ़ने के लिये
जनक जी की छोटी बहन उर्मिला जी को सब सुंदरियों में शिरोमणि जानकर उस कन्या को सब प्रकार से सम्मान करके लक्ष्मण जी को ब्याह दिया, और जिनका नाम श्रुतिकीर्ति है और जो सुंदर नेत्रों वाली, सुंदर मुख वाली, सब गुणों की खान और रूप तथा शील में उजागर है उनको राजा ने शत्रुघ्न को ब्याह दिया।
4- दुलह और दुलहिने अपने-अपने अनुरूप जोड़ी को देखकर सकुचाते हुए हृदय में हर्षित हो रही है। सब सुंदरी दुलहिने सुंदर दूल्हों के साथ एक ही मंडप में ऐसी शोभा पा रही है, मानो जीव के हृदय में चारो अवस्थाये (जागृत, स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय) अपने चारो स्वामियों (विश्व, तेजस, प्राज्ञ और ब्रह्म) सहित विराजमान हो गई है। सभी लोग प्रसन्नता पूर्वक उनकी सराहना कर रहे है और सभी देवता लोग मिलकर फूल बरसा रहे है।
325- दोहा का अर्थ-
अपने सब पुत्रो को बहुओ सहित देखकर अवध नरेश दशरथ जी ऐसे आनंदित हो रहे है जैसे वह राजाओ के शिरोमणि क्रियाओ (यज्ञ क्रिया, श्रद्धा क्रिया, योग क्रिया और ज्ञान क्रिया) सहित चारो फल (अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष) को प्राप्त कर लिए हो।
चौपाई का अर्थ-
1- श्री राम जी के विवाह की विधि जैसा वर्णन किया गया है, उसी रीति से सब राजकुमारों का भी ब्याह हुआ। दहेज की अधिकता इतनी थी कि उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है, सारा मंडप सोने और मणियों से भर गया।
2- बहुत कंबल, वस्त्र और भांति-भांति के विचित्र रेशमी कपड़े जिनकी कीमत अनमोल थी। अनेको वस्तुए है, जिनकी गिनती नही हो सकती है। जिन्होंने यह सब देखा है वही जान सकते है, उन्हें देखकर लोकपाल भी लज्जित होने लगे अवधराज दशरथ जी ने सुख मानकर प्रसन्न चित्त से सब कुछ ग्रहण किया, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता है।
4- उन्होंने सामान याचको को जो अच्छा लगा उन्हें दे दिया और जो बचा था वह जनवासे में आया। तब जनक जी ने सभी बारातियो का सम्मान करते हुए कोमल वाणी से कहा।
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