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Gorakhnath Shabar Mantra Pdf / गोरखनाथ शाबर मंत्र पीडीएफ


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सिर्फ पढ़ने के लिए
बादल छाया करते जाते है, सुख देने वाली सुंदर हवा बह रही है, भरत जी के जाते समय मार्ग जैसा सुखदायक हो गया, वैसा श्री राम जी के चलते समय भी नहीं हुआ था।
चौपाई का अर्थ-
1- रास्ते में असंख्य जड़-चेतन जीव थे, जिनमे से प्रभु श्री राम जी ने जिनको देखा था, वह सब परम पद के अधिकारी हो गए, परन्तु अब भरत जी के दर्शन से तो उनका भव रूपी रोग (जन्म-मरण) ही मिटा दिया।
श्री राम जी के दर्शन से तो परम पद के अधिकारी हुए थे लेकिन भरत जी के दर्शन से उनका भव बंधन ही मिट गया।
2- भरत जी के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है जिन्हे श्री राम जी अपने मन में स्मरण करते रहते है। जगत में जो भी मनुष्य एक बार राम कह लेता है। वह भी तरने तारने वाला हो जाता है।
3- फिर भरत जी तो श्री राम जी के प्रिय तथा छोटे भाई है। तब भला उनके लिए मार्ग सुंदर शुभ मंगलदायक कैसे नहीं होता? सिद्ध, मुनि, साधु और श्रेष्ठ लोग ऐसा कहते हुए भरत जी को देखकर हृदय में हर्ष लाभ करते है।
4- भरत जी के इस प्रेम प्रभाव को देखकर देवराज इंद्र सोच में पड़ गया कि भरत के प्रेम वश श्री राम जी लौट न जाये और हम लोगो का बनाया काम कही बिगड़ न जाय।
(संसार भले के लिए भला और बुरे के लिए बुरा होता है, मनुष्य जैसा होता है यह जगत भी उसे वैसा दिखता है।) उसने गुरु बृहस्पति से कहा – हे प्रभो! आप वही उपाय करिये जिससे श्री राम जी और भरत जी की भेट न होने पाए।
माता का कुमत (विचार) पाप का मूल बढ़ई है, उसने हमारे का उपयोग किया। चौदह वर्ष की अवधि रूपी कुमंत्र पढ़कर यंत्र को खड़ा कर दिया।
3- मेरे लिए उसने यह बुरा साज रचा और सारे जगत को बारह बाट (भिन्न-भिन्न) कर डाला और नष्ट कर दिया। यह कुयोग श्री राम जी के लौट आने पर ही मिट सकता है और तभी अयोध्या बस पायेगी और कोई दूसरा उपाय नहीं है।
4- भरत जी के वचन सुनकर मुनि ने सुख पाया और सब लोगो ने भी बहुत बड़ाई किया, मुनि ने कहा – हे तात! अधिक सोच मत करो। श्री राम जी चरण का दर्शन करते ही सारा दुःख मिट जायेगा।
95- भरद्वाज द्वारा भरत का सत्कार
212- दोहा का अर्थ-
इस प्रकार मुनि श्रेष्ठ भरद्वाज जी ने उनका समाधान करके कहा – अब आप लोग हमारे प्रेम प्रिय अतिथि बनिए और कृपा करके कंद, मूल, फल इत्यादि जो हम दे उसे स्वीकार करिये।
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