मित्रों इस पोस्ट में Free Download Tailoring Books Pdf in Hindi दी गयी है। आप यहां से Silai Katai Shiksha Books Hindi PDF फ्री डाउनलोड कर सकते हैं।
Tailoring Books Pdf in Hindi




मित्रों आज के समय में सिलाई – कटाई की बहुत ही अधिक आवश्यकता है। यह महिलाओं के साथ ही पुरुषों के लिए भी आवश्यक है। इसी को ध्यान में रखते हुए नीचे सिलाई से सम्बंधित कुछ बुक्स दी जा रही हैं, जिन्हे खरीद कर आप निश्चित ही अच्छी सिलाई सीख सकते हैं और इसके साथ ही कुछ Tailoring Book in Hindi Pdf दी जा रही है।
हिंदी कहानी सिर्फ पढ़ने के लिए
राजू नाम का एक इमानदार लकडहारा था. वह रोज जंगल से लकड़ी काटकर उसे बाजार में बेचता. यही उसकी रोजी-रोटी का साधन था. वह बहुत ही गरीब था. फिर भी वह अपने मेहनत के भरोसे खुश रहता था. एक दिन की बात है. वह एक नदी के किनारे एक पेड़ पर चढ़ कर सूखी लकड़ियाँ काट रहा था. तभी उसकी कुल्हाड़ी छूट कर नदी में गिर गयी.
वह घबराकर नीचे उतरा और कुल्हाड़ी ढूँढने लगा. तमाम कोशिशों के बाद भी कुल्हाड़ी नहीं मिली तो वह बहुत निराश हो गया और नदी के किनारे बैठ गया.
वह दुखी होकर सोचने लगा, ” आज तो भोजन भी नसीब नहीं होगा “. इसी उधेड़बुन में उसे नीद आ गयी और वह वहीँ सो गया. अचानक से उसकी नीद टूटी. उसने देखा नदी में से एक आदमी उसे आवाज दे रहा था.
राजू उचककर देखा तो उस आदमी ने बोला, ” क्या हुआ भाई, बड़े परेशान दिख रहे हो “.
” क्या बताऊँ साहेब, आज तो भोजन भी नसीब नहीं होगा ” राजू ने कहा.
” अरे क्या हुआ? मुझे भी तो बताओ. हो सकता है मैं आपकी मदद कर सकूं ” उस आदमी ने कहा.
” साहेब मैं एक गरीब आदमी हूँ. लकड़ी काट और उसे बाज़ार में बेचकर रोजी – रोटी का जुगाड़ करता हूँ. आज जब इस पेड़ पर लकड़ी काट रहा था तो अचानक से मेरी कुल्हाड़ी छूट कर इस नदी में गिर गयी. काफी कोशिश के बाद भी नहीं मिली. मैं लकडियाँ काटने से पहले हाथ जोड़कर पेड़ों से आज्ञा लेता हूँ फिर लकड़ी काटता हूँ” राजू से कहा.
” ओह! यह तो बड़ा बुरा हुआ. ठीक है मैं आपकी कुल्हाड़ी ढूँढता हूँ. अगर कुल्हाड़ी मिल जायेगी तो फिर आप लकडियाँ काट कर अपने भोजन का जुगाड़ कर लोगे ” उस आदमी ने कहा.
” अगर ऐसा होगा तो आपकी बड़ी मेहरबानी होगी ” राजू लकडहारे ने कहा.
वह आदमी नदी में एक डुबकी लागाया और एक सोने की कुल्हाड़ी लेकर निकला और लकडहारे से बोला,” क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है? ”
“नहीं …नहीं यह हमारी कुल्हाड़ी नहीं है ” राजू ने कहा.
फिर से उस आदमी ने डुबकी लगाईं और इस बार चांदी की कुल्हाड़ी निकाला और पूछा, ” यह आपकी कुल्हाड़ी है “.
” नहीं…नहीं यह भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है ” राजू ने कहा.
एक बार वह फिर से डुबकी लगाईं और इस बार उसने लकड़ी की कुल्हाड़ी निकाली और उसे देखते ही लकडहारा उछलकर बोला, ” हाँ…हाँ यही मेरी कुल्हाड़ी है “.
वह आदमी राजू की इमानदारी पर बड़ा खुश हुआ और अपने असली रूप में प्रकट हुआ. वे वरुण देव थे. उन्होंने राजू से कहा कि मैं तुम्हारी इमानदारी से बहुत खुश हूँ. मैं तुम्हें इनाम स्वरूप सोने और चांदी की कुल्हाड़ी भी दे रहा हूँ.
इसे बेचना मत. इसे अपने घर में हमेशा रखना. तुम्हारे हर दुःख दूर हो जायेंगे. उसके बाद वरुण देव अंतर्ध्यान हो गए. राजू ने उन्हें प्रणाम किया और ख़ुशी – ख़ुशी अपने घर पहुंचा और एक साफ़ जगह उस सोने और चांदी की कुल्हाड़ी को रख दिया.
उसके बाद अचानक से उसके में ढेर सारा पैसा आ गया. उसने फर्नीचर एक बड़ी दूकान खोल ली. उसके बाद उसने शादी की और ख़ुशी से रहने लगा. उसे उसकी इमानदारी का फल मिल गया था.