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Five Point Someone Pdf in Hindi
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पुस्तक का नाम | Five Point Someone Pdf in Hindi |
पुस्तक के लेखक | चेतन भगत |
भाषा | हिंदी |
श्रेणी | उपन्यास |
फॉर्मेट | |
साइज | 1010.9 KB |
पृष्ठ | 148 |




पराग के इस प्रकार अचानक किए गए प्रश्न से वह भिखारन लड़की एकदम चौंक गयी। पराग फिर उस भिखारन लड़की से बोले – अगर तुम्हारे पास समय हो तब मैं तुमसे कुछ पूछना चाहता हूँ। वह भिखारन लड़की बोली – समय तो नहीं है बाबा लेकिन मैं आपका आग्रह नहीं टाल सकती हूँ।
आप जो पूछना चाहते है जल्दी से पूछ लीजिए क्योंकि अगला स्टेशन वर्धमान आने वाला है और हमे वही उतरकर दूसरी गाड़ी से वापस हुगली जाना होगा। पराग बोले – बेटा यह बताओ क्या आप हुगली में रहते हो? वह भिखारन लड़की बोली। हम चितपुर रोड के बगल में जो नीली कोठी है वही रहते है।
पराग बोले – चितपुर रोड पर ही मधुकर ट्रेडर्स के नाम से एक कपड़े की दुकान है क्या आप वह दुकान जानती हो। भिखारन लड़की ने हां में सिर हिलाया। पराग बोले – तुम्हे इस तरह भिखारियों का मुखौटा लगाकर भीख मांगने की क्या जरूरत है।
वह भिखारन लड़की ने अब पराग से कुछ भी नहीं छिपाना उचित नहीं समझा। उसने कहा – मेरा नाम रचना दास है मैं उस नीली कोठी में ही रहती हूँ। चितपुर रोड के एस. बी. आई. की शाखा में मैनेजर हूँ। हमारे साथ ही उस कोठी में बाबा और आजी रहते है।
हमारे माता-पिता पहले ही भगवान के पास चले गए क्योंकि उन्हें एक साधु ने किसी बात पर चिढ़कर शाप दे दिया था और साथ ही उस नीली कोठी को भी शापित कर दिया था। उसी शाप के कारण ही उसमे रहने वाले किसी एक सदस्य को भिखारी का कार्य अवश्य करना पड़ेगा और इससे प्राप्त आपको भिखारियों की सेवा में ही समर्पित करना होगा।
हमारे माता-पिता ने साधु द्वारा बताया यह कार्य नहीं किया इसलिए परिणाम स्वरुप उन्हें इस दुनियां से जाना पड़ा। हमारे आजी-बाबा वृद्ध हो चुके है इसलिए यह दायित्व मुझे ही पूरा करना पड़ता है। मैं बैंक में मैनेजर हूँ इस वजह से ही यह मुखौटा लगाना पड़ता है।
पराग बोले – बेटा आप इस भिखारन के और मैनेजर के रूप में कैसे ताल-मेल बैठाते हो? भिखारन लड़की बोली – बाबा, हमने अपने हेड ऑफिस में पहले बता दिया है कि मैं 12 बजे से 3 बजे तक ही बैंक में कार्य करुँगी इस दौरान हमारा कोई भी कार्य अधूरा नहीं रहेगा।
बैंक को अपना कार्य पूर्ण होने से मतलब है इसलिए ऑफिस में बड़े साहब ने हमे मंजूरी दे दिया। पराग बोले – बेटा क्या ऐसा नहीं हो सकता है कि आप यह भिखारी वाला कार्य छोड़कर अपने वेतन के पैसे से दूसरे भिखारियों की सेवा करो? भिखारन लड़की बोली – ऐसा करने के लिए हमने बहुत प्रयास किया लेकिन शाप के कारण कोई न कोई व्यवधान अवश्य उत्पन्न हो जाता है।
कभी-कभी मुझे कही पर भीख नहीं मिलती है तब तक सारा रुपया पैसा अपने वेतन से ही भिखारियों की सेवा में अर्पित करना पड़ता है। जब तक बीस रुपये की भिक्षा नहीं मिलती है तब तक सारा रुपया पैसा व्यर्थ रहता है इसलिए हमे भिक्षा मांगना पड़ता है।
तब तक स्टेशन आ गया था। वह भिखारन लड़की – बाबा आपसे बाते करने के लिए बहुत इच्छा है लेकिन क्या करूँ हमे वापस भी लौटना है। उसने एक कार्ड निकालकर पराग को दिया और बोली बाबा आपको जब भी आवश्यकता हो तब आप 1 से 3 के बीच में चितपुर रोड की बैंक शाखा में हमसे अवश्य ही मुलाकात कर लेना इतना कहकर वह भिखारन लड़की रेलगाड़ी से उतर गयी।
रचना दास अपने मन में सोच रही थी कि आज पहली बार कोई उसकी जिंदगी के विषय में पूछ रहा था नहीं तो कितने लगो उसे भिखारन के रूप में दुत्कार दिया करते थे। कुछ समय के बाद रेलगाड़ी धीरे-धीरे स्टेशन से सरकते हुए चलने लगी। उसी प्रकार पराग की सोच भी चलती जा रही थी।
पराग को लगा शायद उनकी तलाश रचना पर ही पूरी होगी। पराग सोचते जा रहे थे कि अगर किसी दूसरे ने उनके दरवाजे पर दस्तक दे दिया तब वह क्या करेंगे? फिर उन्होंने खुद ही निर्णय किया कि मुझे दायित्व और कर्मठता में किसी एक को ही चुनना होगा।
लेकिन तराजू का पलड़ा कर्मठता की तरफ ज्यादा ही झुका हुआ था क्योंकि दायित्व की एक सीमा होती है लेकिन कर्मठता असीम होती है।
दायित्व अपनी सीमा में ही खुद को साबित कर सकती है लेकिन कर्मठता सीमा के अंदर और सीमा के बाहर खुद को साबित करने के लिए सदैव तैयार रहता है और इसका उदाहरण परोक्ष रूप से रचना और कार्तिक थे।
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