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Fifty Shades Of Gray in Hindi Pdf Download



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सिर्फ पढ़ने के लिये
लेकिन आज नरेश की बात सुधीर को अंदर तक चुभ गयी हमेशा सुधीर के साथ रहने वाली रजनी उसकी मनोदशा को समझ गयी और वहां से सुधीर और रजनी दोनों हट गए। सुधीर का चेहरा गंभीर हो गया वह बोला – दीदी अब मैं अब घर जा रहा हूँ।
हमेशा चहकने वाला सुधीर धीरे-धीरे अपने घर आ गया और जाकर एक कोने में बैठ गया। उसके मन में नरेश के लिए बहुत गुस्सा भरा हुआ था। सुधीर की मां विवेक से बात कर रही थी शायद के बारे में विवेक ने उसे बताया था और उसपर ही चर्चा हो रही थी।
इस कारण से ही कंचन ने सुधीर के ऊपर ध्यान नहीं दिया जबकि सुधीर की इच्छा हो रही थी कि उसकी मां उसकी परेशानी को पूछे लेकिन वह तो नरेश की परेशानी में उलझी हुई थी क्योंकि विवेक ने अपनी मां कंचन से बताया था कि आर्थिक अभाव के कारण ही उसे पढ़ाई बीच में छोड़ना पड़ेगा और समय से पहले ही एक बुद्धिमान सितारा टूटकर बिखर जायेगा।
विवेक से बात खत्म होने पर कंचन सुधीर के पास आयी तो सदैव प्रसन्न रहने वाला सुधीर आज परेशान था। कंचन ने सुधीर से पूछा – क्या बात है सुधीर आज तुम इस तरह से परेशान क्यों हो? सुधीर को मौका मिला और वह मौके पर ही उबल पड़ा।
सुधीर बोला – यह नरेश भैया आपको क्या समझते है? बहुत तेज तर्राक बनते है। हम लोग क्या उनसे पढ़ने में कम है क्या हमारा प्रतिशत कम आता है। क्या हुआ आखिर कुछ तो बताओ? कंचन पूछने लगी। तो सुधीर बोला – मैं और रजनी दीदी पास होने की ख़ुशी में नरेश भैया से साझा करना चाहते थे तो उन्होंने हमे शब्दों के द्वारा व्यंग करते हुए धरती पर ला दिया।
जबकि हम सदैव ही हम धरती पर रहते है। पहेली मत बुझाओ सीधी बात कहो विवेक भी जो वहां खड़ा था बोल उठा – अब तो विवेक के ऊपर ही सुधीर नरेश ही खीझ निकालने लगा। वह जो आपके घनिष्ठ दोस्त है नरेश प्रजापति जी वह अपने आपको बहुत तेज मस्तिष्क का समझते है क्या हम लोग आप दोनों से पढ़ने में कमतर है?
आप हमारा परीक्षा फल जाँच लीजिए मैं अगले साल आप दोनों के परिणाम से भी बेहतर परीक्षा का परिणाम लाकर दिखा दूंगा तब ही मुझे सुधीर कहना। विवेक बोला – आखिर क्या बात हो गयी आज जो हमारा छोटा भाई इतने गुस्से में है कुछ तो बताओ।
सुधीर बोला – मैं और रजनी दीदी अपनी ख़ुशी बाटने नरेश भैया के पास गए थे तो उन्होंने कहा कि तुम दोनों कभी भी एक नंबर पर नहीं आ सकते हो क्या मैं इतना कमजोर हूँ पढ़ने में लो आप हमारा परीक्षा फल देखो? इतना कहते हुए सुधीर ने परिणाम पुस्तिका विवेक सामने फेक दिया।
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