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Durga Stuti Pdf In Hindi / दुर्गा स्तुति पीडीएफ
पुस्तक का नाम | Durga Stuti Pdf In Hindi |
भाषा | संस्कृत |
श्रेणी | धार्मिक |
फॉर्मेट | |
साइज | 11.3 Mb |
पृष्ठ | 12 |



Shri Durga Stuti - Chaman Lal Bhardwaj Chaman
Durga Stuti Pdf In Hindi
जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे।
जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥1॥
जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे।
जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे॥2॥
जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे।
जय देवि पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते॥3॥
जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते।
जय दु:खदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे॥4॥
जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दु:खहरे।
जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे॥5॥
एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि:।
गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा॥6॥
सिर्फ पढ़ने के लिए
हाथ में शारंग धनु सजाकर श्री रघुनाथ जी शत्रु सेना का दलन करने चले। प्रभु ने पहले तो धनु का टंकार किया जिसकी भयानक आवाज को सुनते ही शत्रु दल बहरा हो गया।
वह इस तरह से चले मानो पंख वाले कालसर्प चले हो। जहांतहां भयंकर राक्षस योद्धाओ का संहार होने लगा। उनके चरण छाती और भुजदंड की क्षति हो रही है। बहुत से वीरो के कई सौ खंड हो गए। घायल चक्कर खाकर पृथ्वी पर गिर रहे है। उत्तम योद्धा संभल उठते है फिर लड़ते है।
वह मेघ की तरह गरजते है। बहुत से तो देखकर ही भाग जाते है। बिना सिर के ही दौड़ते हुए पकड़ो-पकड़ो शब्द करते हुए चिल्ला रहे है।
68- दोहा का अर्थ-
प्रभु ने क्षण मात्र में ही भयानक राक्षसों की हानि कर डाली।
चौपाई का अर्थ-
कुम्भकर्ण ने मन में विचारकर देखा कि श्री राम जी ने क्षण भर में राक्षसों की सेना को ख़त्म कर दिया। तब वह महाबली वीर अत्यंत क्रोधित होकर गंभीर सिंहनाद किया।
वह क्रोध करके पर्वत को उखाड़कर जहां भारी वानर योद्धा है उनके ऊपर डाल दिया। बड़े पर्वतो आते हुए हुए देखकर प्रभु ने उसे धूल के समान कर दिया।
फिर रघुनाथ जी ने क्रोध करके धनु को खींचकर बहुत तीव्र से छोड़े। वह कुम्भकर्ण के शरीर में प्रविष्ट होकर निकल जाते है कि उनका पता ही नहीं चलता है, मानो बिजली बादल में समाहित हो जाती है।
69- दोहा का अर्थ-
और बहुत घोर शब्द करके गरजने लगा तथा कोटि वानरों को पकड़कर वह गजराज की तरह उन्हें पृथ्वी पर पटकने लगा और रावण की दुहाई देने लगा।
चौपाई का अर्थ-
यह देखकर रीछ वानरों के झुण्ड ऐसे भागे जैसे भेड़िया को देखकर भेड़ो के समूह। शिव जी कहते है कि – हे भवानी! वानर भालू व्याकुल होकर आर्त वाणी से पुकारते हुए भाग चले।
वह कहने लगे – यह राक्षस तो दुर्भिक्ष के समान है जो अब वानर कुल रूपी देश को समाप्त करना चाहता है। हे कृपा रूपी जल को धारण करने वाले श्री राम! हे खर के शत्रु! हे शरणागत के दुःख दूर करने वाले! रक्षा कीजिए, रक्षा कीजिए।
करुणा भरे वचन सुनते ही भगवान धनु सुधारकर चले। महा बलशाली श्री राम जी ने सेना को अपने पीछे कर लिया और वह अकेले ही क्रोधित होकर चले।
उन्होंने धनु खींचकर संधान किया। धनु छूटते ही उसके शरीर में समा गए। वह क्रोध करके दौड़ा। उसके दौड़ने से पर्वत डगमगाने लगे और पृथ्वी हिलने लगी।
उसने एक पर्वत उखाड़ लिया। रघुकुल तिलक ने उसकी भुजाओ को समाप्त कर दिया। तब वह बाए हाथ से पर्वत लेकर दौड़ा प्रभु ने उसकी वह भुजा भी पृथ्वी पर गिरा दिया।
भुजाओ के नष्ट हो जाने पर वह इस प्रकार से शोभायमान होने लगा जैसे बिना पंख का मंदराचल पर्वत हो। उसने उग्र दृष्टि से प्रभु को देखा। मानो तीनो लोक को निगल जाना चाहता हो।
70- दोहा का अर्थ-
वह बहुत जोर से चिंघाड़ते हुए मुंह फैलाकर दौड़ा। आकाश में सिद्ध और देवता डरकर हा! हा! हा! इस प्रकार पुकारने लगे।
चौपाई का अर्थ-
करुणानिधि भगवान ने देवताओ को भयभीत जाना। तब उन्होंने धनु को कान तक खींचकर राक्षस के मुख को भर दिया। तब भी वह महाबली पृथ्वी पर नहीं गिरा।
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