मित्रों इस पोस्ट में Durga Saptashati PDF के बारे में बताया गया है। आप नीचे की लिंक से दुर्गा सप्तशती फ्री डाउनलोड Durga Saptshati Book PDF Download कर सकते हैं।
Sampurna Durga Saptashati Pdf Download
वर्ष भर में कभी भी दुर्गा सप्तशती का पाठ लाभदायक ही होता है। हिन्दू धर्म में प्रायः सभी के घरों में दुर्गा सप्तशती एवं दुर्गा चालीसा के दर्शन हो जाते है। लेकिन नवरात्रि के दिनों दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का विशेष महत्व होता है।
अगर आप नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करते है, या ब्रह्मणों द्वारा पाठ का श्रवण करते है तो आप को आठ बातों का अवश्य ही ध्यान रखना चाहिए। जिससे माता भगवती की कृपा जातक के ऊपर सदैव बनी रहे।
पुस्तक का नाम | Durga Saptashati PDF |
पुस्तक की भाषा | हिंदी,संस्कृत |
श्रेणी | धार्मिक |
फॉर्मेट | |
साइज | 466 KB |
पृष्ठ | 159 |
दुर्गा सप्तशती पाठ कैसे करें ? Durga Saptashati PDF
1. आसन या बैठने का स्थान – जातक को हमेशा ही पाठ करते या श्रवण करते हुए कभी भी जमीन पर नहीं बैठना चाहिए। कंबल या ऊनी आसन का प्रयोग कर सकते है। लेकिन कुश का आसन अतिशुद्ध माना जाता है।
2. पहनावा या अंग वस्त्रम – ( Durga Saptashati PDF in Hindi Download ) –पूजा में प्रयुक्त अंग वस्त्रम का भी विशेष स्थान है। महिलाओं के लिए साड़ी और पुरुष के लिए धोती अति उत्तम माना गया है।
3. पाठ करने के पहले – ( durga saptashati path pdf ) जातक को पाठ करते समय एकाग्र चित्त होना चाहिए। गरिष्ठ भोजन नहीं लेना चाहिए क्योंकि इससे आलस्य और जम्हाई का खतरा बना रहता है, जो कि उचित नहीं है। अपना सभी जरूरी कार्य निबटा कर ही पाठ करने बैठना चाहिए, जिससे कि मन को एकाग्र करने में सहायता प्राप्त हो सके।
4. पाठ करने का उत्तम तरीका – ( Durga Saptashati Path Download PDF ) – दुर्गा सप्तशती के तीन चरित्र यानी कि 1. उत्तम चरित्र – इसमें पहला अध्याय आता है। 2. मध्यम चरित्र – इसमें दूसरे अध्याय से लेकर चौथा अध्याय आता है। 3. अति उत्तम चरित्र – इसमें अध्याय पांच से लेकर अध्याय तेरह तक का समावेश है। एक बार में तीनों चरित्र का पाठ उत्तम होता है। लेकिन समयानुसार कम से कम एक चरित्र का पाठ आवश्यक होता है।
5. शब्द उच्चारण की शुद्धता – पाठ करते समय श्लोक का उच्चारण शुद्ध और स्पष्ट होना चाहिए। बहुत तीव्र आवाज में उच्चारण नहीं करना चाहिए। मानसिक उच्चारण किया जाय तो अतिउत्तम होता है।
6. शुद्धता का स्थान – ( Durga Saptashati PDF Download )- अगर जातक स्वयं पाठ करता है या ब्रह्मण द्वारा श्रवण करता है, तो उसे आसन पर बैठने के पश्चात ध्यान रखना चाहिए कि उसके हाथ का स्पर्श पैरों से न होने पावे, या कह सकते है कि पद्यासन लगाकर बैठना उत्तम होता है। पूजा स्थान पर स्वच्छ्ता का उत्तम प्रबंध करना चाहिए।
7. पूर्ण फल की प्राप्ति – ( Durga Saptashati Path in Hindi PDF ) नवरात्रि के दिनों में दुर्गा पाठ का विशेष महत्व तो होता ही है। लेकिन उत्तम तरीके से पाठ किया जाय तो भगवती की अनुकंपा शीघ्र हो सकती है। इसके लिए पहले सप्तश्लोक, कीलक, अर्गला स्त्रोत, नवार्ण मंत्र देवी सूक्त के उपरांत देवी कवच का पाठ करना चाहिए। लेकिन समयाभाव के कारण सिद्धकुंजिका स्त्रोत का पाठ करने से ही जगत जननी अपने भक्त की पूजा स्वीकार करती है।
8. क्षमा प्रार्थना – कितना भी बड़ा विद्वान क्यूं न हो उससे त्रुटि हो ही जाती है, और अपनी त्रुटि के लिए “क्षमा प्रार्थना” का विधान है। इसलिए अपनी क्षमता के अनुसार पूजा की तैयारी करने के उपरांत भी “क्षमा प्रार्थना” अवश्य ही करनी चाहिए, और ‘सिद्धकुंजिका स्तोत्र ‘ का पाठ करने पर सोने के ऊपर सुहागा हो जाता है। इसलिए ‘ सिद्धकुंजिका स्त्रोतं’ का पाठ अवश्य ही करना चाहिए।
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