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Dr. Shyama Prasad Mukherjee Books In Hindi Pdf Free Download

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Dr. Shyama Prasad Mukherjee Books In Hindi Pdf

 

 

 

 

 

 

डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एक बहुत ही सभ्रांत परिवार से संबंधित थे। उनका जन्म कोलकाता (कलकत्ता) में हुआ था। उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी बहुत ही संपन्न और सभ्रांत व्यक्ति थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को हुआ था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बचपन बहुत ही शिक्षित लोगो के मध्य व्यतीत हुआ था।

 

 

 

इन्होने अल्पायु में ही शिक्षा के क्षेत्र में प्रभाव पूर्ण उपलब्धि प्राप्त कर लिया था। इन्होने 16 वर्ष की आयु मे ही मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण किया था। उसके पश्चात् इन्होने कोलकाता के प्रतिष्ठित कालेज ‘बेसीडीसी कॉलेज’ में प्रवेश लिया था। 1919 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इंटर आर्ट की परीक्षा में विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान प्राप्त किया।

 

 

 

1921 में B. A. आनर्स की परीक्षा में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया था। 1923 में M. A. भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण किया था। जब श्यामा प्रसाद जी 1922 में B. A. कर रहे थे तब इनका विवाह सुधा देवी के साथ हो गया था। इस दम्पति के चार बच्चे थे। कुछ समय के उपरांत ही इनकी पत्नी सुधा देवी काल कलवित हो गई।

 

 

 

डा. मुखर्जी ने अपने जीवन को हमेशा के लिए मानव सेवा में समर्पित कर दिया। मानव की सेवा को ही डा. मुखर्जी ईश्वर पूजा मानते थे। डा. मुखर्जी का अटल विश्वास था कि अध्यात्म और विज्ञान युक्त शिक्षा के द्वारा ही भारत पुनः ‘जगत गुरु’ के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त कर सकता है।

 

 

 

श्यामा प्रसाद के पिता सर आशुतोष मुखर्जी कलकत्ता विश्ववद्यालय के संस्थापक उपकुलपति थे। अपने पिता की मौत के बाद ही श्यामा प्रसाद मात्र 23 वर्ष की अवस्था में कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रबंध समिति में ले लिए गए। उसके बाद उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति का पदभार 33 वर्ष की अल्पायु में सुशोभित किया।

 

 

 

पूरे विश्व में इतनी कम आयु में कुलपति बनने वाले डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी पहले व्यक्ति थे। श्यामा प्रसाद के कुलपति के कार्य में ही कवि गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने दीक्षात समारोह में बांग्ला में भाषण दिया था इसके बाद से ही अन्य भारतीय भाषाओ का युग प्रारंभ हो गया। अध्यात्मवाद, सहनशीलता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ मानव के प्रति दया भाव श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विशेष गुण थे।

 

 

 

 

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