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Doraemon comic book in Hindi Pdf Download
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सिर्फ पढ़ने के लिये
तब मेरे द्वारा एवं सरस्वती द्वारा बोधित हुए श्रीविष्णु ने उस महान गणनायक वीरभद्र को असह्य तेज से सम्पन्न जानकर वहां से अंतर्ध्यान होने का विचार किया। दूसरे देवता भी यह जान गए कि सती के प्रति जो अन्याय हुआ है उसी का यह सब भावी परिणाम है।
दूसरो के लिए इस संकट का सामना करना अत्यंत कठिन है। यह जानकर वे सब देवता अपने सेवको के साथ स्वतंत्र सर्वेश्वर शिव का स्मरण करके अपने-अपने लोक को चले गए। मैं भी पुत्र के दुःख से पीड़ित हो सत्यलोक में चला आया और अत्यंत दुःख से आतुर हो सोचने लगा कि अब मुझे क्या करना चाहिए।
मेरे तथा श्रीविष्णु के चले जाने पर मुनियो सहित समस्त यज्ञ के आधार रहने वाले देवता शिवगणों द्वारा पराजित हो भाग गए। उस उपद्रव को देखकर उसका विध्वंस निकट जानकर वह यज्ञ भी अत्यंत भयभीत हो मृग का रूप धारण करके वहां से भगा।
मृग के रूप में आकाश की ओर भागते देख वीरभद्र ने उसे पकड़ लिया और उसे डराकर भगा दिया। फिर उन्होने मुनियो तथा देवताओ के अंग-भंग कर दिए और बहुतो को भगा डाला। प्रतापी मणिभद्र ने भृगु को उठाकर पटक दिया और उनको पैरो से दबाकर तुरंत उनकी दाढ़ी मूंछ नोच ली।
चण्ड ने बड़े वेग से पूषा के दांत उखाड लिए क्योंकि पूर्वकाल में जिस समय महादेव जी को दक्ष के द्वारा अपमानित किया जा रहा था उसे समय वे दांत दिखा दिखाकर हँसे थे। वहां रूद्र गणनायको ने स्वधा स्वाहा और दक्षिणा देवियो की बड़ी विडंबना की। वहां जो मंत्र तंत्र तथा दूसरे लोग थे उनका भी बहुत तिरस्कार किया।
ब्रह्मपुत्र दक्ष भय के मारे अंतर्वेदी के भीतर छिप गए। वीरभद्र उनका पता लगाकर उन्हें बलपूर्वक पकड़ लाये। फिर उनके दोनों गाल पकड़कर उन्होने उनके मस्तक पर आघात किया। परन्तु योग के प्रभाव से दक्ष का सिर अभेद्य हो गया था इसलिए कट नहीं सका।
जब वीरभद्र को ज्ञात हुआ कि सम्पूर्ण अस्त्र शस्त्रो से इनके मस्तक का भेदन नहीं हो सकता तब उन्होंने दक्ष की छाती पर पैर रखकर दबाया और हाथ से वार किया। फिर शिवद्रोही दक्ष के उस सिर को गणनायक वीरभद्र ने अग्निकुंड में डाल दिया। तदनन्तर जैसे सूर्य घोर अंधकार राशि का नाश करके उदयाचल पर आरूढ़ होते है।
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