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Devi Pushpanjali Stotra Pdf / देवी पुष्पांजलि स्तोत्र पीडीएफ


Devi Pushpanjali Stotra in Hindi
पहली पुष्पांजलि मंत्र
ॐ जयन्ती, मङ्गला, काली, भद्रकाली, कपालिनी।
दुर्गा, शिवा, क्षमा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोऽस्तु ते॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः॥
दूसरी पुष्पांजलि मंत्र
ॐ महिषघ्नी महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी।
आयुरारोग्यविजयं देहि देवि! नमोऽस्तु ते॥
एष सचन्दन गन्ध पुष्प बिल्व पत्राञ्जली ॐ ह्रीं दुर्गायै नमः॥
तृतीय पुष्पांजलि मंत्र
ॐ सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तु ते॥१॥
सृष्टि स्थिति विनाशानां शक्तिभूते सनातनि!।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि! नमोऽस्तु ते॥२॥
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे!।
सर्वस्यार्तिहरे देवि! नारायणि! नमोऽस्तु ते॥३॥
सिर्फ पढ़ने के लिए
2- वह भक्ति स्वतंत्र है। उसे ज्ञान, विज्ञान आदि किसी दूसरे साधन की अपेक्षा या सहारा नहीं होता है। ज्ञान और विज्ञान तो उसके अधीन है। हे तात! भक्ति अनुपम एवं सुख की मूल है और वह तभी मिलती है जब संत अनुकूल और प्रसन्न होते है।
3- अब मैं भक्ति के साधन को विस्तार से कहता हूँ – यह सुगम मार्ग है जिससे जीव मुझको सहज ही प्राप्त कर लेते है। पहले तो चरणों में अत्यंत प्रीति होनी चाहिए और वेद की रीति के अनुसार अपने-अपने वर्णाश्रम कर्मो में लगा रहना चाहिए।
4- इसका फल फिर विषय से वैराग्य होगा। तब वैराग्य होने पर मेरे धर्म के प्रति उत्पन्न होगा। तब श्रवण आदि नौ प्रकार की भक्तियां दृढ होगी और मन में मेरी लीलाओ के प्रति अत्यंत प्रेम होगा।
5- जिनका संतो के चरणों में अत्यंत प्रेम हो मन, वचन और कर्म से भजन का दृढ नियम हो और जो मुझको ही गुरु, माता, पिता, भाई, पति और देवता सब कुछ जाने और सेवा में दृढ हो।
6- मेरा गुण गाते समय जिसका शरीर पुलकित हो जाय वाणी गदगद हो जाय और नेत्रों से प्रेमाश्रु जल बहने लगे और जिनके आदि न हो, हे भाई! मैं सदा ही उनके वश में रहता हूँ।
16- दोहा का अर्थ-
जिनको मन, कर्म और वचन से मेरी ही गति है और जो निष्काम भाव से मेरा भजन करते है उनके हृदय में मैं सदा विश्राम किया करता हूँ।
चौपाई का अर्थ-
1- इस भक्तियोग को सुनकर लक्ष्मण जी ने अत्यंत सुख पाया और उन्होंने प्रभु श्री राम जी के चरणों में सिर नवाया। इस प्रकार वैराग्य, ज्ञान, गुण और नीति कहते हुए कुछ दिन बीत गए।
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