नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Daulat Ke Niyam book in Hindi Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Daulat Ke Niyam book in Hindi Pdf download कर सकते हैं और आप यहां से Geet Govind Pdf in Hindi कर सकते हैं।
Daulat Ke Niyam book in Hindi Pdf Download
Note- इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी पीडीएफ बुक, पीडीएफ फ़ाइल से इस वेबसाइट के मालिक का कोई संबंध नहीं है और ना ही इसे हमारे सर्वर पर अपलोड किया गया है।
यह मात्र पाठको की सहायता के लिये इंटरनेट पर मौजूद ओपन सोर्स से लिया गया है। अगर किसी को इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी Pdf Books से कोई भी परेशानी हो तो हमें [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं, हम तुरंत ही उस पोस्ट को अपनी वेबसाइट से हटा देंगे।
सिर्फ पढ़ने के लिये
उस समय वहां आये हुए देवता आदि ने जब यह घटना देखी तब वे बड़े जोर से हाहाकार करने लगे। उनका वह महान अद्भुत विचित्र एवं भयंकर हाहाकार आकाश में पृथ्वीतलपर सब ओर फ़ैल गया। लोग कह रहे थे – हाय! महान देवता भगवान शंकर की परम प्रेयसी सती देवी ने किस दुष्ट के दुर्व्यवहार से कुपित हो अपने प्राण त्याग दिए।
अहो! ब्रह्मा जी के पुत्र इस दक्ष की बड़ी भारी दुष्टता तो देखो। सारा चराचर जगत जिसकी संतान है उसी की पुत्री मनस्विनी सती देवी जो सदा ही मान पाने के योग्य थी उसके द्वारा ऐसी निरादूत हुई कि प्राणो से ही हाथ धो बैठी। भगवान वृषभध्वज की प्रिया सती सदा ही सबके सत्पुरुषों के द्वारा निरंतर सम्मान पाने की अधिकारिणी थी।
वास्तव में उसका हृदय बड़ा ही असहिष्णु है। वह प्रजापति दक्ष ब्राह्मणद्रोही है। इसलिए सारे संसार में उसे महान अपश्य प्राप्त होगा। उसकी अपनी ही पुत्री उसी के अपराध से जब प्राण त्याग करने को उद्यत हो गयी तब भी उस महानरकभोगी शंकर द्रोही ने उसे रोका तक नहीं।
जिस समय सब लोग ऐसा कह रहे थे। उसी समय शिव जी के पार्षद सती का यह अद्भुत प्राण त्याग देख तुरंत ही क्रोध पूर्वक दक्ष को मारने के लिए उठ खड़े हुए। यज्ञ मंडप के द्वार पर खड़े हुए वे भगवान शंकर के समस्त साठ हजार पार्षद जो बड़े भारी बलवान थे।
अत्यंत रोष से भर गए और हमे धिक्कार है धिक्कार है ऐसा कहते हुए भगवान शंकर के गणो के वे सभी वीर बारंबार उच्चस्वर से हाहाकार करने लगे। देवर्षे! कितने ही पार्षद तो वहां शोक से ऐसे व्याकुल हो गए कि वे अत्यंत तीखे प्राणनाशक शास्त्रों द्वारा अपने ही मस्तक और मुख आदि अंगो पर आघात करने लगे।
इस प्रकार बीस हजार पार्षद उस समय दक्ष कन्या सती के साथ ही नष्ट हो गए। यह एक अद्भुत सी बात हुई। नष्ट होने से बचे हुए एक महात्मा शंकर के वे प्रमथगण क्रोधयुक्त दक्ष को मारने के लिए हथियार लिए उठ खड़े हुए। मुने! उन आक्रमणकारी पार्षदों का वेग देखकर भगवान भृगु ने यज्ञ में विघ्न डालने वालो का नाश करने के लिए नियत इस यजुर्मंत्र से दक्षिणाग्नि में आहुति दी।
भृगु के आहुति देते ही यज्ञकुंड से ऋभु नामक सहस्रो महान देवता जो बड़े प्रबल वीर थे वहां प्रकट हो गए। मुनीश्वर! उन सबके हाथ में जलती हुई लकड़ियां थी। उनके साथ प्रमथगणो का अत्यंत विकट युद्ध हुआ जो सुनने वालो के भी रोगंटे खड़े कर देने वाला था।
उन ब्रह्मतेज से सम्पन्न महावीर ऋभुओं की सब ओर से ऐसी मार पड़ी जिससे प्रमथगण बिना अधिक प्रयास के ही भाग खड़े हुए। इस प्रकार उन देवताओ ने उन शिवगणों को तुरंत मार भगाया। यह अद्भुत सी घटना भगवान शिव की महाशक्तिमती इच्छा से ही हुई।
मित्रों यह पोस्ट Daulat Ke Niyam book in Hindi Pdf आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और Daulat Ke Niyam book in Hindi Pdf की तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें।