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Chauth Mata Ki Katha Pdf / चौथ माता की कथा Pdf

नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Chauth Mata Ki Katha Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Chauth Mata Ki Katha Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां से Volga to Ganga Hindi Pdf कर सकते हैं।

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Chauth Mata Ki Katha Pdf Download

 

 

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Chauth Mata Ki Katha Pdf
Chauth Mata Ki Katha Pdf यहां से डाउनलोड करे।
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Chauth Mata Ki Katha Pdf
होली व्रत कथा और पूजा विधि Pdf यहां से डाउनलोड करे।
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चौथ माता व्रत कथा Pdf

 

 

 

प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को चौथ माता तथा संकट चतुर्थी का व्रत किया जाता था इसे गणेश चतुर्थी भी कहते है। बैशाख मास के कृष्ण पक्ष से ही इस गणेश चतुर्थी तथा चौथ माता का व्रत किया जाता है। इस व्रत में चंद्रोदय होने पर चन्द्रमा को अर्घ दिया जाता है पश्चात में गणेश जी और चौथ माता की पूजा करके लड्डू का भोग लगाकर भोजन करने का विधान है।

 

 

 

इस कथा का श्री गणेश भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के विवाह प्रसंग से होता है। भगवान विष्णु के विवाह की तैयारियां चल रही थी सभी देवताओ को निमंत्रण दिया गया था। लेकिन गणेश जी को किसी कारणवश निमंत्रण नहीं दिया गया।

 

 

 

सभी देवता सपत्नीक विवाह समारोह में आ गए थे। समारोह में सभी देवताओ की उपस्थिति थी लेकिन गणेश जी का ही पता नहीं था वह कही पर भी दिखाई नहीं दे रहे थे। सभी देवताओ के मध्य विचार विमर्श होने लगा कि गणेश क्यों नहीं आये है अथवा उन्हें बुलाया नहीं गया है क्या? सभी देवताओ ने विचार किया कि विष्णु जी के पास ही चलकर इस बात का समाधान कर लेते है।

 

 

 

सबने जाकर विष्णु जी से पूछा – गणेश जी क्यों नहीं आये है? विष्णु जी बोले – हमने उनके पिता महादेव शंकर जी को निमंत्रण दिया था यदि गणेश जी उनके साथ आना चाहते तब आ जाते उन्हें अलग से निमंत्रण देने की आवश्यकता नहीं थी। सभी लोग वार्ता कर रहे थे तभी किसी ने सुझाव दिया यदि गणेश जी आ जायेंगे तो उनसे कह दिया जायेगा कि आप द्वार पर बैठकर घर की रखवाली करो।

 

 

 

आपका वाहन मूषक है वह मंदगति से चलता है अतः आप बारात से बहुत पीछे रह जाओगे तथा आपके लिए सवा मन मूंग, सवामन चावल, सवामन घी तथा सवामन लड्डू का भोजन एक दिन में चाहिए जो दूसरे घर कदापि संभव नहीं है तथा सभी को अपनी वजह से उपहास का सामना करना पड़ेगा अतः आपके लिए यह उचित है कि आप यहां रहकर घर की रखवाली करो।

 

 

 

सभी के इस विचार को भगवान विष्णु ने भी सहमति प्रदान कर दिया। इतने में गणेश जी का आगमन हुआ सभी ने उन्हें समझा-बुझाकर घर की रखवाली करने के लिए कह दिया और बारात आगे प्रस्थान कर गयी। नारद जी ने देखा कि गणेश जी दरवाजे पर ही बैठे हुए है।

 

 

 

वह गणेश जी के पास आकर उनसे रुकने का कारण पूछने लगे। गणेश जी नारद जी से बोले – भगवान विष्णु ने मेरा बहुत अपमान किया है। नारद जी बोले – आप मूषक सेना को रास्ते में जाकर सारे रास्ते को अंदर से खोखला करने का आदेश दे दो जिससे सभी देवताओ के वाहन उस खोखली जमीन में धंस जाएंगे फिर उसके बाद वह आपको ससम्मान बुलाएँगे।

 

 

 

गणेश जी के आदेश का इंतजार था। उनका आदेश मिलते ही सारी मूषक सेना ने जाकर बारात जाने वाले सभी मार्ग को अंदर से खोखला कर दिया। अब तो एक-एक करके सभी देवताओ के रथ के पहिए जमीन के अंदर धंस गए। रथो के बाहर निकालने का सभी प्रयास व्यर्थ हो गया तथा रथ के पहिए भी क्षतिग्रस्त हो गए थे।

 

 

 

किसी के समक्ष कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। देवताओ को परशानी में देखकर नारद जी बोले – आप लोगो ने गणेश जी का अपमान किया है यह उसी का प्रतिफल है। अगर पार्वती नंदन को सम्मान के साथ बुलाकर लाया जाय तब सारे विघ्न हट सकते है।

 

 

 

शंकर जी के वाहन नंदी गए और आदर पूर्वक गणेश जी को अपने साथ लेकर आये। गजानन का आदर सम्मान के साथ पूजन किया गया। रथ के पहिए जमीन से बाहर निकल आये लेकिन क्षतिग्रस्त हो गए थे। पास के खेत में एक बढ़ई अपना कार्य कर रहा था।

 

 

 

उसे बुलाकर रथ के पहिए ठीक करने के लिए कहा गया। वह अपने मन में ‘श्री गणेशाय नमः’ ‘जय श्री गणेश’ कहते हुए कार्य आरंभ कर दिया तथा रथो के पहिए को ठीक कर दिया। वह बढ़ई देवताओ से बोला – आप लोगो ने प्रथम वंदनीय गणेश जी की अवमानना किया होगा इसलिए ही यह विघ्न उपस्थित हो गया था।

 

 

 

हम लोग तो अज्ञानी है फिर भी कोई भी कार्य करने से पहले विघ्नेश्वर गणेश जी का पूजन करते है। आप लोग गौरीनंदन को कैसे भूल गए।

 

 

 

आप लोग गौरीनंदन गणेश जी का जयकारा लगाकर जाय आपके कार्य सफल होंगे। सभी देवताओ ने विघ्नहर्ता गौरीनंदन गणेश की वंदना करके आगे प्रस्थान किया फिर तो सारे कार्य सकुशल सम्पन्न हो गए। भगवान विष्णु तथा भगवती लक्ष्मी का पाणिग्रहण निर्विघ्न सम्पन्न किया।

 

 

 

 

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