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Chandra Dev Aarti Pdf / चंद्र देव आरती पीडीएफ

सिर्फ पढ़ने के लिए
2- देवताओ को आनंद देने वाले और पृथ्वी का भार हरण करने वाले यदि भगवान ने ही अवतार लिया है तो मैं जाकर हठ पूर्वक उनसे बैर करूँगा और प्रभु के आघात से भवसागर से तर जाऊंगा।
3- इस शरीर से तो भजन होगा नहीं अतएव मन, वचन कर्म से यही दृढ निश्चय है और यदि वह मनुष्य रूप कोई राजकुमार होंगे तो उन दोनों को जीतकर उनकी स्त्री को लाऊंगा।
4- ऐसा विचार कर रावण अकेला ही रथ पर चढ़कर वहां चला जहां समुद्र के तट पर मारीच रहता था। शिव जी कहते है कि हे पार्वती! यहां श्री राम जी ने जैसी युक्ति रची वह सुंदर कथा सुनो।
23- दोहा का अर्थ-
लक्ष्मण जी तब कंद, मूल फल लेने के लिए वन में गए। तब कृपा के समुद्र और सुख के समूह श्री राम जी हंसकर जानकी जी से बोले।
चौपाई का अर्थ-
1- हे प्रिये! हे सुंदर पतिव्रत-धर्म का पालन करने वाली सुशीले! सुनो मैं अब मनोहर मनुष्य लीला करूँगा। इसलिए जब तक मैं राक्षसों का नाश करूँ तब तक तुम यहां निवास करूँ।
2- श्री राम जी ने ज्यों ही समझाकर कहा, त्यों ही सीता जी प्रभु के चरण को हृदय में धारण करते हुए समा गयी। सीता जी ने अपनी ही छाया मूर्ति को वहां रख दिया जो उनके जैसे ही शील स्वभाव और रूप वाली तथा वैसे ही विनम्र थी।
3- भगवान ने जो कुछ भी लीला रची उस रहस्य को लक्ष्मण जी ने भी नहीं जाना। स्वार्थ परायण रावण वहां गया जहां मारीच था और उसको सिर नवाया।
4- गलत का झुकना भी अत्यंत दुखदायी होता है। जैसे अंकुश और बिल्ली का झुकना। हे भवानी! गलत की मीठी वाणी भी उसी प्रकार भय देने वाली होती है जैसे बिना ऋतु का फूल।
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