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Brahma Purana Gita Press Pdf


सिर्फ पढ़ने के लिए
राजा-रानी ने बार-बार मिलकर और हृदय से लगाकर तथा सम्मान करके सीता जी को विदा किया। चतुर रानी ने समय मिलने पर राजा से सुंदर वाणी से भरत जी की दशा का वर्णन किया।
चौपाई का अर्थ-
1- सोने में सुगंध और समुद्र से निकली हुई सुधा में चन्द्रमा का तत्व अमृत के समान भरत जी का व्यवहार सुनकर राजा प्रेम से बिह्वल होकर अपने प्रेमाश्रुओं के जल से भरे नेत्र मूंद लिया। वह शरीर से पुलकित होकर मन में आनंद के साथ भरत जी के सुंदर यश की सराहना करने लगे।
2- वह बोले – हे सुमुखि! हे सुनयनी! सावधान होकर सुनो भरत जी कथा संसार के सारे बंधन से छुड़ाने वाली है। धर्म, राजनीती और ब्रह्म विचार – इन तीनो विषयो में अपनी बुद्धि के अनुसार मेरी थोड़ी बहुत गति है, मैं इस संबंध में कुछ ही जानता हूँ।
3- वह धर्म राजनीती और ब्रह्म ज्ञान में प्रवेश करने वाली मेरी बुद्धि भरत जी की महिमा का वर्णन तो क्या करे, छल करने पर भी उसकी छाया छू नहीं पाती। ब्रह्मा जी, गणेश जी, शेष जी, महादेव जी, सरस्वती जी, कवि, ज्ञानी, पंडित और बुद्धिमान।
न तो वह घास खाते है न तो वह पानी ही पीते है, केवल आँखों से जल बहा रहे है। श्री राम जी के घोड़े को इस दशा में देखकर सब निषाद व्याकुल हो गए।
चौपाई का अर्थ-
1- तब धीरज धारण करते हुए निषाद राज बोला – हे सुमंत्र जी अब निषाद को छोड़िए आप पंडित और परमार्थ को जानने वाले है, विधाता को प्रतिकूल जानकर धैर्य धारण करिये।
2- कोमल वाणी कथाये कहते हुए निषाद ने जबरन लाकर सुमंत्र को रथ पर बैठाया। परन्तु वह शोक से इतने शिथिल हो गए थे कि वह रथ को नहीं हांक सकते थे। उनके हृदय में श्री राम जी के विरह की बड़ी तीव्र वेदना है।
3- घोड़े भी राम जी की विरह वेदना में तड़प रहे है और ठीक रास्ते पर नहीं चल रहे है। मानो जंगली पशु को रथ में जोत दिया गया है। श्री राम जी के वियोग में घोड़े कभी ठोकर खाकर गिर पड़ते है, कभी घूमकर पीछे की ओर देखने लगते है, वह तीव्र दुःख से व्याकुल है।
4- जो कोई राम, लक्ष्मण या जानकी का नाम लेता है तो घोड़े हिंकर-हिंकर उसकी तरफ प्यार से देखने लगते है। घोड़ो की यह विरह दशा कैसे कही जा सकती है? वह ऐसे व्याकुल है जैसे मणि के बिना सांप व्याकुल हो जाता है।
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