मित्रों इस पोस्ट में बताया गया है कि Bharat Ka Kshetrafal Kitna Hai ? भारत (India) विश्व (World) की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है। यहां अनेको बोली, भाषा, खान-पान, रहन-सहन जैसे बहुरंगी विविधता और समृद्ध विरासत है। भारत कृषि प्रधान देश है और कृषि में आत्मनिर्भर बन चुका है।
Bharat Ka Kshetrafal Kitna Hai? भारत का क्षेत्रफल कितना है ?

भारत के क्षेत्रफल 32,87,263 (india.gov.in) वर्ग कि.मी. है। भारत क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का 7 वां सबसे बड़ा देश है और भारत दुनिया के कुल क्षेत्रफल के 2.42 भाग पर स्थित है। उत्तर से दक्षिण की दिशा में भारत की कुल लंबाई 3055 किलोमीटर और पूर्व से पश्चिम में लंबाई 2,933 कि. मी. है।
भारत की किन पड़ोसी देशो की सीमा भारत से मिलती है ……..
1. बांग्लादेश – 4,096.70 किलोमीटर
2. चीन – ३४८८ वर्ग किलोमीटर
3. पाकिस्तान – 3323 किलोमीटर
4. नेपाल – 1751 किलोमीटर
5. म्यांमार – 1683 किलोमीटर
6. भूटान – 699 किलोमीटर
7. अफगानिस्तान – 106 किलोमीटर
इस तरह से भारत की सीमा सबसे ज्यादा बांग्लादेश से और सबसे कम अफगानिस्तान से मिलती है।
भारत एशिया महाद्वीप में क्षेत्रफल के आधार पर किस नंबर पर आता है?
एशिया महाद्वीप दुनिया का सबसे बड़ा महाद्वीप है। यह 44,579,000 किलोमीटर में फैला हुआ है। एशिया महाद्वीप दुनिया के कुल क्षेत्रफल का 30% हिस्सा कवर करता है और भारत एशिया महाद्वीप में रूस और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा देश है और अगर बात करे जनसंख्या के हिसाब से तो 2020 में जनसंख्या के हिसाब से चीन भारत से बड़ा देश है और एशिया में जनसंख्या के हिसाब से भारत चाइना के बाद दूसरे स्थान पर है। भारत भौगोलिक स्थिति में भी विविधता से भरा हुआ है। भारत में पर्वत श्रृंखला, रेगिस्तान, पठार, हिमालयी क्षेत्र, कृषि क्षेत्र वन है।
ध्यान योग सिर्फ पढ़ने के लिए
आध्यात्मिक तथा भौतिक मार्ग से च्युत व्यक्ति – अर्जुन श्री कृष्ण से पूछ रहा है – हे महावाहु कृष्ण ! क्या ब्रह्म प्राप्ति के मार्ग से भ्रष्ट व्यक्ति आध्यात्मिक तथा भौतिक दोनों ही सफलताओ से च्युत नहीं होता और छिन्न भिन्न बादल की भांति विनष्ट नहीं हो जाता है जिससे उसके लिए किसी लोक में कोई स्थान नहीं रहता है।
उपरोक्त शब्दों का तात्पर्य – उन्नति के दो मार्ग है, एक आध्यात्मिक उन्नति दूसरा भौतिक उन्नति का मार्ग। भौतिकता वादी व्यक्तियों की अध्यात्म में कोई रूचि नहीं होती है अतः वह आर्थिक विकास के द्वारा भौतिक प्रगति में रूचि लेते है या फिर समुचित कार्य द्वारा उच्चतर लोको को प्राप्त करने में अधिक रूचि रखते है। यदि महत्वाकांक्षी ब्रह्मवादी असफल होता है तो वह दोनों तरफ से जाता है यदि कोई अध्यात्म के मार्ग को चुनता है तो उसे सभी प्रकार के तथा कथित भौतिक सुख से विरक्त होना पड़ता है।
दूसरे शब्दों में वह न तो भौतिक सुख भोग पाता है न आध्यात्मिक सफलता ही प्राप्त कर सकता है। उसका कोई स्थान नहीं रहता है वह छिन्न भिन्न बादल के समान होता है। कभी-कभी आकाश में एक बादल छोटे बादल खंड से विलग होकर एक बड़े खंड से जाकर मिल जाता है। यदि बड़े खंड से नहीं जुड़ पाता है तब वायु उसे बहा ले जाती है और वह विराट आकाश में लुप्त हो जाता है।
भगवान कृष्ण परम सत्य के पूर्ण प्राकट्य है। अतः जो भी इस परम पुरुष की शरण में जाता है कृष्ण तो पूर्ण परमेश्वर के साथ ही योगेश्वर भी है। अतः योगी को योगेश्वर की शरण में जाना चाहिए ? ब्रह्मणः पथि ब्रह्म साक्षात्कार का मार्ग है जो अपने आपको परमेश्वर का अभिन्न अंग या अंश जान लेने पर प्राप्त होता है और यह परमेश्वर ब्रह्म परमात्मा तथा भगवान के रूप में प्रकट होता है।
दिव्य साक्षात्कार का सर्व श्रेष्ठ मार्ग भक्ति योग या कृष्ण भावनामृत की प्रत्यक्ष विधि है। ब्रह्म तथा परमात्मा साक्षात्कार के माध्यम से जीवन के इस लक्ष्य तक पहुँचने में अनेकानेक जन्म लग जाते है। (वहूनां जन्मनामन्ते)
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