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Bedtime Stories in Hindi PDF
बच्चों की कहानियां PDF
एक किसान था उसका नाम भानू था। उसके दो लड़के थे उनका नाम विक्रम और वीरू था। विक्रम बहुत ही मेहनती था। वह अपने पिता के साथ ही खेती में कार्य करता था जबकि वीरू एकदम आलसी था। दिन में नींद लेता रहता और ख़याली पुलाव पकाने में पारंगत था।
वह अपने मां से कहता था – मैं एक दिन बहुत धनवान बन जाऊंगा। हमारे पास सुविधा के सभी साधन होंगे। उसकी मां राधा कहती – इच्छा की पूर्ति के लिए मेहनत और समय की आवश्यकता होती है लेकिन तुम्हारे पास इन दोनों में से एक भी नहीं है।
मेहनत तुम कर नहीं सकते तथा नींद पूरी करने से तुम्हे समय ही नहीं मिलता। विक्रम को देखो वह अपने पिता के साथ परिश्रम करता है उसे सफलता भी प्राप्त होती है। गिरीश नाम का एक राजा था उसकी रानी का नाम माधुरी था। दोनों बहुत ही प्रजावत्सल थे लेकिन निःसंतान थे।
एक दिन एक महात्मा आये। राजा और रानी ने बहुत सत्कार किया। वह प्रसन्न होकर राजा रानी को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद देकर चले गए। कालांतर में राजा रानी को एक पुत्री की प्राप्ति हुई। उन्होंने उसका नाम मधुरिमा रखा। मधुरिमा द्वितीय के चन्द्रमा की भांति बढ़ने लगी।
मधुरिमा बहुत सुंदर थी। एक बार वह बीमार हो गयी। राजवैद्य के साथ ही अन्य सभी वैद्य ने उसका उपचार किया लेकिन उसे कोई फायदा नहीं हुआ। अब तो राजा और रानी बहुत दुखी हो गए। राजा गिरीश ने अपने राज्य में ढिंढोरा पिटवा दिया कि जो कोई भी उनकी पुत्री को स्वस्थ कर देगा उसे वह अपना आधा राज्य देने के साथ ही अपनी पुत्री का उस व्यक्ति के साथ विवाह भी कर देंगे।
यह बात भानू के छोटे लड़के वीरू को भी मालूम हुई। वीरू नित्य क्रिया के लिए जंगल गया हुआ था। लौटते समय उसने देखा दो कबूतर आपस में मनुष्यो की तरह बाते करते हुए कह रहे थे। इस जंगल में सबसे ऊँचे पर्वत पर गुलाब का पौधा है उसमे सफेद फूल लगा हुआ है जो उस सफेद गुलाब को लाकर राजकुमारी मधुरिमा को सुंघा देगा तब मधुरिमा उस सफेद गुलाब की खुशबू सूंघते ही ठीक हो जाएगी।
वीरू उन कबूतरों की बात सुनकर घर आया और अपनी मां से बोला – तुम मुझे कुछ खाने के लिए दे दो मैं अभी जंगल में जा रहा हूँ सफेद गुलाब लाने के लिए। उस सफेद गुलाब की खुशबू से राजकुमारी मधुरिमा ठीक हो जाएगी फिर मुझे राजा अपना आधा राज्य प्रदान करेंगे तथा हमारे सभी कष्ट दूर हो जायेंगे।
वीरू की मां ने उसे रास्ते में खाने के लिए भोजन दिया। वीरू भोजन लेकर जंगल में चला गया। उसे बीच जंगल में एक बुढ़िया दिखी वह भूख से परेशान थी। उसने वीरू से अपने लिए भोजन देने के लिए कहा। वीरू ने उसे भोजन देने से मना कर दिया और बोला अपना भोजन मैं तुम्हे दे दूंगा तो मैं क्या खाऊंगा?
इतना कहकर वीरू जंगल में आगे बढ़ने लगा लेकिन वह फिसलकर बेहोश हो गया तथा जहां पर बुढ़िया बैठी थी वही पहुंच गया। दो दिन के बाद राधा को अपने छोटे लड़के की चिंता होने लगी। वह बड़े लड़के विक्रम को उसकी तलाश के लिए जंगल में जाने के लिए बोली।
विक्रम अपने सहोदर की तलाश में चला गया। राधा ने उसे भी रास्ते के लिए भोजन दिया था। विक्रम ने भी उन दोनों कबूतरों को मनुष्य की भाषा में बात करते हुए सुना कि जो भी व्यक्ति जंगल से सफेद गुलाब की खुशबू राजकुमारी मधुरिमा को सुँघायेगा तब राजकुमारी ठीक हो जाएगी।
कबूतरों की बात सुनकर विक्रम जंगल में गया उसकी भी मुलाकात उस बूढी औरत से हुई उसने विक्रम से कहा मैं कई दिन से भूखी हूँ क्या तुम मुझे भोजन करा सकते हो? विक्रम ने भोजन की पोटली उसके आगे कर दिया। भोजन करने के बाद वह बूढी औरत तृप्त होकर आशीर्वाद दिया कि तुम अपने कार्य में पूर्णतः सफल रहोगे।
विक्रम सफेद गुलाब लेने के लिए पर्वत के तिरछे रास्ते पर चलने लगा। उसे प्यास लगी वह पानी निकालकर पीने वाला था तभी उसके सामने दो कबूतर प्यास से व्याकुल होकर गिर पड़े। उसने दोनों के मुंह में पानी डाल दिया फिर दोनों कबूतर प्यास से तृप्त होकर उड़ गए।
विक्रम सफेद गुलाब लेने के लिए आगे बढ़ा। उस सफेद गुलाब की रखवाली एक भयानक राक्षस करता था। वह राक्षस उस समय वहां नहीं था। विक्रम ने मौका देखकर तीन सफेद गुलाब तोडा और लौट पड़ा। इतने में वह भयानक राक्षस आ गया फिर विक्रम को पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ने लगा।
जिस दोनों कबूतर को विक्रम ने पानी पिलाया था। उसने अपने कई साथियो के साथ मिलकर राक्षस को घेर लिया तथा उसके ऊपर आक्रमण कर उसे बेहोश कर दिया। इतना समय विक्रम के लिए पर्याप्त था। वह उस जगह आ गया जहां बुढ़िया बैठी थी।
बुढ़िया ने विक्रम से कहा – मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूँ तुम यह सफेद गुलाब अपने सहोदर को सुंघा दो तुम्हारा भाई होश में आ जायेगा। विक्रम ने वीरू को सफेद गुलाब सुंघा दिया सूंघते ही वीरू उठकर बैठ गया। दोनों ने बुढ़िया को प्रणाम किया फिर अपने घर आ गए।
विक्रम घर आने के बाद तुरंत ही राजमहल में गया और राजा गिरीश से बोला – मैं राजकुमारी को ठीक कर सकता हूँ। राजा ने आदेश दिया विक्रम ने तीनों गुलाब राजकुमारी मधुरिमा की नाक के सामने रख दिया उसकी खुशबू सूंघते ही राजकुमारी ठीक हो गयी।
राजा गिरीश विक्रम से बोले – तुम्हे क्या चाहिए? विक्रम बोला – महाराज! हमे चार बीघा जमीन का टुकड़ा चाहिए जिससे मैं खेती किसानी करके अपने पिता का बोझ कम कर सकूं। राजा गिरीश विक्रम की बातो से बहुत खुश हुए और बोले – मैं अपने वचन के अनुसार तुम्हे अपना राज्य देकर राजकुमारी के साथ तुम्हारा विवाह भी कर दूंगा।
राजा गिरीश बोले – मैं स्वयं तुम्हारे पिता के पास जाकर बात करता हूँ मुझे तुम्हारे जैसा मेहनती और ईमानदार युवक चाहिए। राजा गिरीश ने अपने वचन के अनुसार जाकर विक्रम के पिता भानू से बात किया फिर धूम-धाम से विक्रम और राजकुमारी मधुरिमा का विवाह सम्पन्न हो गया।
साथ ही विक्रम को आधा राज्य भी प्राप्त हो गया। विक्रम अपने माता-पिता तथा राजकुमारी मधुरिमा और सहोदर वीरू के साथ सुखमय जीवन व्यतीत करने लगा।
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