नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Bachchon Ke Liye Yog Shiksha Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Bachchon Ke Liye Yog Shiksha Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां से पतंजलि योग बुक इन हिंदी Pdf पढ़ सकते हैं।
Bachchon Ke Liye Yog Shiksha Pdf / बच्चों के लिए योग शिक्षा पीडीएफ


सिर्फ पढ़ने के लिए
1- मुनि का वचन सुनकर और श्री राम जी का रुख प्राप्त कर, गुरु तथा स्वामी को सब तरह से अपने अनुकूल जानकर सारा बोझ अपने ऊपर ही जानकर भरत कुछ नहीं कह रहे है और यह विचार करने लगे।
2- उनका शरीर पुलकित हो गया और वह सभा में खड़े हो गए, उनके कमल के समान नेत्र से अश्रु बहने लगे, वह बोले – मैं जो कुछ भी कह सकता था, वह मुनिनाथ ने ही कह दिया, इससे अधिक मैं क्या कहूं?
3- मैं अपने स्वामी का स्वभाव जानता हूँ, वह अपराधी पर भी कभी क्रोध नहीं करते है। मुझपर तो उनकी विशेष कृपा और स्नेह है। मैंने कभी उन्हें खेल में भी अप्रसन्न होते नहीं देखा।
4- बचपन से ही उनका साथ कभी मैंने नहीं छोड़ा और उन्होंने भी कभी हमारे मन को नहीं तोडा। मैंने प्रभु की कृपा की रीति का अपने हृदय में भली प्रकार अनुभव किया है, उन्होंने कभी मेरे प्रतिकूल कोई काम नहीं किया। वह मुझे खेल में हार जाने पर भी जीत दिला देते थे।
260- दोहा का अर्थ-
मैंने भी प्रेम और संकोच वश ही उनके सामने कभी कोई बात नहीं कही। मेरे नैन प्रभु के प्रेम की प्यास से आज तक कभी तृप्त नहीं हुए।
चौपाई का अर्थ-
1- परन्तु विधाता से मेरा दुलार नहीं सहन हो पाया। उसने नीच माता के माध्यम से मेरे और स्वामी के बीच में अंतर पैदा कर दिया। यह भी कहना भी आज मुझे शोभा नहीं देता है क्योंकि अपनी समझ से तो सब लोग ही साधु होते है।
2- माता बुरी है, मैं सदाचारी और साधु है ऐसा हृदय में समझना ही अनेको दुराचार के समान है क्या कोदो की फसल से धान की फसल मिल सकती है? क्या काली संबुक (घोंघी, सीप) में मोती उत्पन्न हो सकता है?
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