नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Aushadh Darshan Book In Hindi Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Aushadh Darshan Book In Hindi Pdf Download कर सकते हैं और आप यहां से पतंजलि योग दर्शन गीता प्रेस Pdf Download कर सकते हैं।
Aushadh Darshan Book In Hindi Pdf


सिर्फ पढ़ने के लिए
4- श्री राम जी के द्वारा स्वर्ग को जाते ही उसने तुरंत सुंदर दिव्य रूप प्राप्त कर लिया। दुखी देखकर प्रभु ने अपने परम धाम को भेज दिया। फिर वह छोटे भाई लक्ष्मण जी और सीता जी के साथ शरभंग जी के आश्रम में आये।
7- दोहा का अर्थ-
श्री राम जी का मुख कमल देखकर मुनि श्रेष्ठ के नेत्र रूपी भौरे अत्यंत आदर पूर्वक उसका मकरंद रस पान कर रहे है। शरभंग जी का जन्म धन्य है।
चौपाई का अर्थ-
1- मुनि ने कहा हे कृपालु रघुवीर! हे शंकर के मन रूपी मानसरोवर के हंस! सुनिए, मैं ब्रह्मलोक को जा रहा था। इतने में सुना कि श्री राम जी वन में आएंगे।
2- तब से मैं दिन-रात आपकी राह देख रहा हूँ। अब आज प्रभु को देखकर छाती शीतल हो गयी। हे नाथ! मैं अब साधनो से हीन हूँ। आपने अपना दीन सेवक जानकर मुझपर कृपा किया है।
3- हे देव! यह मुझपर आपका कुछ एहसान नहीं है। हे भक्त मन चोर! ऐसा करके आपने अपने प्रण की ही रक्षा की है। अब इस दीन के कल्याण के लिए तब तक रुकिए जब तक मैं शरीर छोड़कर आपसे आपके धाम में न मिलूं।
4- योग, यज्ञ, जप, तप जो कुछ व्रत आदि मुनि ने किया था सब प्रभु को समर्पण करके बदले में भक्ति का वरदान मांग लिया। इस प्रकार दुर्लभ भक्ति प्राप्त करके फिर मुनि शरभंग जी हृदय से सब आसक्ति छोड़कर स्वर्ग को चले गए।
8- दोहा का अर्थ-
हे नीले मेघ के समान श्याम शरीर वाले सगुण रूप श्री राम जी! सीता जी और छोटे भाई लक्ष्मण जी सहित प्रभु आप निरंतर मेरे हृदय में निवास करिये।
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