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अष्टवक्र गीता पीडीएफ | Ashtavakra Gita Pdf Hindi

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Ashtavakra Gita Pdf Hindi Free

 

 

 

 

 

 

अष्टवक्र गीता पीडीएफ

 

 

 

अष्टावक्र गीता को भारत में बहुत ही पूजनीय माना जाता है। आपको बता दे कि श्रीमद्भागवत गीता के बाद यदि किसी गीता को सर्वाधिक सुना गया तो वह अष्टवक्र गीता है। अष्टावक्र गीता में जीवन के रहस्यों को समझाने का बहुत ही सरलता से प्रयास किया गया है।

 

 

 

अष्टावक्र गीता को महान ऋषि अष्टावक्र जी ने लिखा है। अष्टावक्र जी के पिता का नाम ऋषि कहोड़ था और अष्टावक्र जी के नाना का नाम उद्दालक था और वे वेदज्ञाता थे। उद्दालक जी के पास ऋषि कहोड़ एक शिष्य के रूप में आये थे और अपनी तीव्र बुद्धि से उन्होंने उद्दालक जी को प्रसन्न कर दिया और उसके बाद ऋषि उद्दालक ने अपनी पुत्री सुजाता का विवाह कहोड़ से करा दिया।

 

 

 

एक दिन जब ऋषि कहोड़ वेद पाठ कर रहे थे तो गर्भ से ही अष्टावक्र जी ने अपने पिता द्वारा किए जा रहे वेद पाठ में हुई गलती पर प्रश्न उठाया। इससे क्रोधित उनके पिता ने उन्हें श्राप दे दिया कि अष्टावक्र जी का अंग आठ जगह से टेढ़ा हो जाय।

 

 

 

उन दिनों शास्त्रार्थ का आयोजन किया जाता था और जो उसमे विजय हासिल करता उसे प्रकांड विद्वान की उपमा मिलती थी। उस समय राजा जनक विद्वानों के सम्मान के लिए जाने जाते थे। एक बार ऋषि कहोड़ अपनी विद्वता साबित करने के लिए राजा जनक के दरबार में पहुंचे। राजा ने उनका उचित सत्कार किया।

 

 

 

राजा के दरबार में बंदी नामक एक विद्वान था और वह इसी शर्त पर शास्त्रार्थ करता था कि हारने वाले को जल समाधि लेनी होगी। शास्त्रार्थ शुरू हुआ और ऋषि कहोड़ को हार का सामना करना पड़ा और शर्त के अनुसार उन्हें जल समाधि लेनी पड़ी।

 

 

 

उधर समय बीता और अष्टावक्र जी का जन्म हुआ और उसी समय मुनि उद्दालक के यहां भी पुत्र हुआ और उसका नाम श्वेतकेतु रखा गया। कुछ समय बाद एक दिन अष्टावक्र और श्वेतकेतु दोनों मुनि उद्दालक के गोद में बैठे थे।

 

 

 

तभी श्वेतकेतु ने यह कहते हुए अष्टावक्र को उद्दालक की गोद से उतार दिया कि जाओ अपने पिता की गोद में बैठो। यह बात अष्टावक्र को बहुत बुरी लगी। उन्होंने अपनी माता से पिता के बारे में जानना चाहा तो माता ने पूरी बात उन्हें बता दी।

 

 

 

उसके बाद वे श्वेतकेतु जो साथ लेकर राजा जनक के दरबार में पहुंचे और बंदी को शास्त्रार्थ की चुनौती दी। बंदी के सभी प्रश्नो का उन्होंने उत्तर दिया और बंदी को हरा दिया। उसके बाद बंदी को जल समाधि के लिए कहा गया लेकिन अष्टावक्र ने उसे माफ़ कर दिया।

 

 

 

तब ऋषि कहोड़ ने उन्हें दर्शन दिया और समंगा नदी में स्नान के लिए कहा जिससे उनके श्राप समाप्त हो जाय। अष्टावक्र ने ऐसा ही किया और फिर उनके अंग सीधे हो गए। उसके बाद अष्टावक्र जी ने राजा जनक को अष्टावक्र गीता का उपदेश दिया। अष्टावक्र गीता में 20 अध्याय है।

 

 

 

Ashtavakra Gita Pdf Hindi Free Download

 

 

 

पुस्तक का नाम  अष्टवक्र गीता Pdf
भाषा  Hindi
लेखक  अष्टावक्र
साइज  44 Mb
पृष्ठ  35
श्रेणी  धार्मिक बुक 

 

 

 

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Ashtavakra Gita Pdf Hindi Free
अष्टावक्र गीता यहाँ से डाउनलोड करें। 
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