मित्रों इस पोस्ट में Aparokshanubhuti Pdf Hindi दिया गया है। आप नीचे की लिंक से Aparokshanubhuti Pdf Hindi Free Download कर सकते हैं।
Aparokshanubhuti Pdf Hindi Free Download / अपरोक्षानुभूति हिंदी Pdf
अपरोक्षानुभूति के बारे में
अपरोक्ष ज्ञान उसे कहते है जिसमे मानव को अपरोक्ष रूप से ईश्वर की अनुभूति हो। जैसे आप किसी मुसीबत से घिरे हुए है और बगैर किसी की सहायता से आपके संकट का निवारण हो जाय या संकट टल जाय इसे ‘अपरोक्ष’ कहते है।
अथवा बिना किसी मानवीय सहायता के आपकी कठिनाइयों का समाधान मिल जाय उसे ‘अपरोक्ष ईश्वरीय सहायता’ कहते है। वैसे तो हर कार्य ईश्वर की सहायता के बिना संभव नहीं होता यहां तक कि मनुष्य की सांसे भी ईश्वर की ओर से प्रदान की गई है। लेकिन जो दिख न सके और मानव का कल्याण हो जाय वही अपरोक्ष है जिसे देखा नहीं सिर्फ अनुभव किया जा सकता है। आदिशंकराचार्य ने जीवो के उद्धार के लिए अनेक ग्रंथो को लिखा है। अपरोक्ष ज्ञान जीवन की सर्वोच्च पूर्ण अवस्था है।
गीता सार सिर्फ पढ़ने के लिए
अर्जुन ने कहा – ऐसे महापुरुषों को जो मेरे गुरु है, उन्हें मारकर जीने की अपेक्षा इस संसार में भीख मांगकर खाना अच्छा है। भले ही वह सांसारिक लाभ के इच्छुक क्यों न हो किन्तु है तो गुरुजन ही ! यदि उनका वध होता है तो हमारे द्वारा भोग्य प्रत्येक वस्तु उन सभी के रुधिर से सनी होगी।
उपरोक्त शब्दों का तात्पर्य – दुर्योधन से आर्थिक सहायता प्राप्त करने के कारण भीष्म तथा द्रोण उसका पक्ष लेने के लिए बाध्य थे यद्यपि आर्थिक लाभ के कारण ऐसा करना उनके लिए सर्वथा अनुचित था। ऐसी दशा में वह आचार्यो के सम्मान योग्य नहीं थे। शास्त्रों के अनुसार गुरु जो निंद्य कर्म में रत हो या निंदा योग्य कर्म में प्रवृत्त हो और जो विबेक शून्य हो उसका त्याग करना ही श्रेयस्कर होता है। किन्तु अर्जुन सोचता था कि इतने पर भी वह लोग उसके गुरुजन है। अतः उनका वध करके भौतिक लाभ का भोग करने का अर्थ होगा रुधिर सने अवशेषों का भोग।
6- क्षत्रिय का धर्म-अधर्म के विरुद्ध युद्ध करना – अर्जुन कहता है – हम यह भी नहीं जानते है कि हमारे लिए क्या श्रेष्ठ है उन सबो को जीतना या कि उन सबके द्वारा जीते जाना। यदि धृतराष्ट्र के पुत्रो का वध कर देते है तो हमे जीवित रहने की आवश्यकता नहीं है फिर भी वह सब युद्ध भूमि में हमारे समक्ष युद्ध करने के लिए खड़े है।
उपरोक्त शब्दों का तात्पर्य – यदि उसकी (अर्जुन) की विजय हो भी जाए तो (क्योंकि उसका पक्ष न्याय पर है) भी यदि धृतराष्ट्र के पुत्र मरते है तो उनके बिना रह पाना अत्यंत कठिन हो जाएगा। उस दशा मे अर्जुन की यह दूसरे प्रकार की हार होगी। अर्जुन को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे – युद्ध करके अनावश्यक रुधिर बहाने का कारण बने यद्यपि क्षत्रिय होने के कारण युद्ध करना उसका धर्म है। या फिर वह युद्धाभिमुख होकर भिक्षा मांग कर अपना जीवन निर्वाह करे। यदि वह अपने शत्रु को जीतता नहीं तो उसके समक्ष जीविका का एक मात्र साधन भिक्षा ही रह जाएगा। फिर जीत भी तो निश्चित नहीं है कोई भी पक्ष विजयी हो सकता है।
अर्जुन द्वारा व्यक्त इस प्रकार के यह विचार सिद्ध करते है कि वह न केवल भगवान का महान भक्त था अपितु वह अत्यधिक प्रबुद्ध और अपने मन तथा इन्द्रियों पर पूर्ण नियंत्रण रखने में सक्षम था। यह सारे गुण तथा अपने आध्यात्मिक गुरु श्री कृष्ण के उपदेशो में उसकी श्रद्धा यह सब मिलकर सूचित करते है कि वह सचमुच पुण्यात्मा था। राज परिवार में जन्म लेकर भी भिक्षा मांगकर जीवित रहने की इच्छा उसकी विरक्ति का दूसरा लक्षण है।
इस प्रकार से यह निकलता है कि अर्जुन मुक्ति के सर्वथा योग्य था। जब तक इन्द्रियां संयमित न हो, ज्ञान के स्तर तक कदापि नहीं उठा जा सकता है और ज्ञान तथा भक्ति के बिना मुक्ति प्राप्त करना संभव नहीं है। अर्जुन अपने भौतिक गुणों के अतिरिक्त इन समस्त दैवी गुणों में भी दक्ष था।
Note- हम कॉपीराइट का पूरा सम्मान करते हैं। इस वेबसाइट Pdf Books Hindi द्वारा दी जा रही बुक्स, नोवेल्स इंटरनेट से ली गयी है। अतः आपसे निवेदन है कि अगर किसी भी बुक्स, नावेल के अधिकार क्षेत्र से या अन्य किसी भी प्रकार की दिक्कत है तो आप हमें [email protected] पर सूचित करें। हम निश्चित ही उस बुक को हटा लेंगे।
मित्रों यह पोस्ट Aparokshanubhuti Pdf Hindi आपको कैसी लगी जरूर बताएं और इस तरह की दूसरी पोस्ट के लिए इस ब्लॉग को सब्स्क्राइब जरूर करें और इसे शेयर भी करें और फेसबुक पेज को लाइक भी करें, वहाँ आपको नयी बुक्स, नावेल, कॉमिक्स की जानकारी मिलती रहेगी।
इसे भी पढ़ें —->रुद्रायमाला तंत्र Pdf Free