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Ank Jyotish Ki Kitab Pdf / अंक ज्योतिष की किताब पीडीऍफ़

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सिर्फ पढ़ने के लिये
दोहा का अर्थ-
इस प्रकार का संयोग होने से जब सुंदरता और सुख की मूल लक्ष्मी उत्पन्न हो, तो भी कवि लोग उसे बहुत ही संकोच के साथ सीता जी के समान कहेंगे।
चौपाई का अर्थ-
1- सयानी सखियां सीता जी को साथ लेकर, मनोहर वाणी से गीत गाती हुई चली। सीता जी के नवल शरीर पर सुंदर साड़ी सुशोभित है। जगत जननी की महान छवि अतुलनीय है।
2- सब आभूषण अपनी-अपनी जगह पर शोभित है, जिन्हे सखियों ने अंग-अंग में भली भांति सजाते हुए पहनाया है। जब सीता जी ने रंगभूमि में पैर रखा, तब उनका दिव्य स्वरुप देखकर सभी स्त्री-पुरुष मोहित हो गए।
3- नगाड़े बजाते हुए सभी देवता हर्षित थे। गाते हुए अप्सराये फूलो को बरसाने लगी , सीता जी के कर कमलो जयमाल सुशोभित है। सब राजा उनकी ओर देखते हुए चकित हो जाते है।
4- सब राजा लोग मोह के बस हो गए, सीता जी श्री राम जी को चकित चित्त से देखने लगी। सीता जी ने मुनि के पास बैठे हुए दोनों भाइयो को देखा तो उनके नेत्र अपनी निधि को पाकर ललचाते हुए वही श्री राम जी में लगकर स्थिर हो गए।
248- दोहा का अर्थ-
परन्तु गुरुजनो की लाज से और बहुत बड़ा समाज देखकर सीता जी सकुचा गई, वह श्री राम जी को हृदय में लाकर सखियों की ओर देखने लगी।
चौपाई का अर्थ-
1- श्री राम जी का रूप और सीता जी की छवि को देखकर सभी स्त्री-पुरुषो ने पलक झपकाना ही छोड़ दिया, सभी एकटक उन्हें देखने लगे, सभी लोग अपने मन में सोचते है, पर कहते हुए सकुचाते है। मन ही मन वह विधाता से विनय करते है।
2- हे विधाता! जनक जी की मूढ़ता को शीघ्र हर लीजिए और हमारे जैसी सुंदर बुद्धि उन्हें दीजिए कि जिससे बिना विचार किए ही राजा अपना प्रण छोड़कर सीता जी का विवाह श्री राम जी से कर दे।
3- संसार उन्हें भला कहेगा क्योंकि यह बात सभी को अच्छी लगती है। हठ करने से अंत में हृदय ही जलेगा। यह सांवला वर ही जानकी जी के योग्य है। सब लोगो की यही लालसा है।
4- तब राजा जनक ने बंदीजनों को बुलाया, वह विरुदावली (वंश की कीर्ति) गाते हुए चले आये, राजा ने कहा – जाकर मेरा प्रण सबसे कह दो – भाट चले उन्हें हृदय में कम आनंद नहीं था।
पुत्र के वियोग से और कौन सी अधिक व्यथा होगी जिसके दुःख से प्राण शरीर को छोड़ेंगे। फिर धीरज धरकर राजा ने सुमंत्र से कहा हे सखा तुम रथ लेकर श्री राम जी के साथ जाओ।
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