नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको Ambedkar Ke Rajnitik Vichar Pdf देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से Ambedkar Ke Rajnitik Vichar Pdf Download कर सकते हैं और यहां से Achhut Kaun The Pdf कर सकते है।
Ambedkar Ke Rajnitik Vichar Pdf Download
पुस्तक का नाम | Ambedkar Ke Rajnitik Vichar Pdf |
पुस्तक के लेखक | |
कुल पृष्ठ | 455 |
पुस्तक की साइज | 9.44 Mb |
श्रेणी | |
फॉर्मेट | |
भाषा | हिंदी |



Note- इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी पीडीएफ बुक, पीडीएफ फ़ाइल से इस वेबसाइट के मालिक का कोई संबंध नहीं है और ना ही इसे हमारे सर्वर पर अपलोड किया गया है।
यह मात्र पाठको की सहायता के लिये इंटरनेट पर मौजूद ओपन सोर्स से लिया गया है। अगर किसी को इस वेबसाइट पर दिये गए किसी भी Pdf Books से कोई भी परेशानी हो तो हमें [email protected] पर संपर्क कर सकते हैं, हम तुरंत ही उस पोस्ट को अपनी वेबसाइट से हटा देंगे।
सिर्फ पढ़ने के लिए
राजिंदर के रूप में आभा बोली – माता जी अभी तक मैं कार्तिक के साथ संतुष्ट हूँ लेकिन एक महीना और देखना चाहती हूँ उसके बाद मैं निर्णय कर सकती हूँ। केतकी बोली – ठीक है तुम एक महीना और देख लो फिर उसके बाद अपना निर्णय बता देना।
जिसमे सबसे बात करके और सबको साथ लेकर उसे भी चला सकता हूँ और मोटर साइकल चलाते हुए तो आप देख ही रहे है। एक बात और है कार्तिक जी, मैं साइकल चलाने में उसका हैंडल सदैव अपने हाथ में रखता हूँ पीछे बैठकर बोझ नहीं बनना चाहता हूँ।
अब तो फैसला समय के हाथ में है। हमे अब गांव में जाकर देखना पड़ेगा कि मकान किस प्रकार से तैयार हो रहा है। केतकी बोली – इस बार हम लोग कार्तिक को गांव भेजेंगे और यहां आपको आभा, रचना और प्रिया के सहयोग से कम्पनी और दुकान का प्रबंध देखना होगा।
फकीरचंद बोले क्यों इतने रुपये कम है क्या? चलिए मैं तीन वर्ष के पंद्रह करोड़ पर तैयार हूँ क्योंकि अब मैं इससे ज्यादा आगे नहीं जा सकता हूँ। तभी रजनी बोली ठीक है लेकिन आप एक हफ्ते बाद आकर फिर से मिलिए तब तक हम लोग अपने वकील से सारे कागजात तैयार करवा लेंगे।
फकीरचंद बोले यह आठ करोड़ का चेक मैं आपको अभी दे रहा हूँ बाकी एक हफ्ते के बाद यह व्यावसायिक सौदा पूरा हो जाने के बाद आपको चेक दे दूंगा। तब तक आप पहले वाला चेक पास करा लीजिए और जब मैं आऊंगा तो हमे कम से कम पंद्रह दिन के लिए माल तैयार चाहिए। इतना कहकर फकीरचंद जयसवाल चले गए।
उस फकीरचंद के जाते ही रजनी सुधीर से बोली क्या तुम्हे दस करोड़ रुपये कम लग रहे थे? सुधीर बोला दीदी यह व्यापार है हम अपनी मेहनत का पैसा मांग रहे है फिर वह फकीर तो एक वर्ष में ही तिस से चालीस करोड़ कमा लेगा क्योंकि जिस कुर्सी की कीमत भारत में सौ रुपये है। वही बांस की कुर्सी बाहर देश में पन्द्रह सौ मै मिलेगी फिर हमारे यहां के सामान की गुणवत्ता सबसे उच्च श्रेणी की है। फकीरचंद इससे बहुत ज्यादा फायदा कमायेगा।
दीपक आगरा से आठ किलोमीटर की दूरी पर बेलवा गांव में अपनी पेठा बनाने की कम्पनी लगा चुका था। राधे नाम का आदमी दीपक का सबसे भरोसेमंद था और कम्पनी के लिए जमीन तलाश करने में उसका बहुत प्रयास था। किसी कार्य की सफलता में विश्वास का होना बहुत आवश्यक होता है।
मित्रों यह पोस्ट Ambedkar Ke Rajnitik Vichar Pdf आपको कैसी लगी, कमेंट बॉक्स में जरूर बतायें और Ambedkar Ke Rajnitik Vichar Pdf Download की तरह की पोस्ट के लिये इस ब्लॉग को सब्सक्राइब करें और इसे शेयर भी करें।