नमस्कार मित्रों, इस पोस्ट में हम आपको 21 volumes of Dr Ambedkar Books PDF देने जा रहे हैं, आप नीचे की लिंक से 21 volumes of Dr Ambedkar Books PDF Download कर सकते हैं और यहां से Who is Shudra in Hindi Pdf कर सकते है।
21 volumes of Dr Ambedkar Books PDF Hindi

- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 1
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 2
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 3
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 4
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 5
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 6
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 7
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 8
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 9
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 10
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 11
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 12
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 13
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 14
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 15
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 16
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 17
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 18
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 19
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 20
- Dr. Babasaheb Ambedkar Writings and Speeches Vol. 21
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सिर्फ पढ़ने के लिये
डा. निशा भारती बहुत ही प्रफुल्लित थी क्योंकि उनकी आँखों का तारा रोशन अब पूर्ण रूप से स्वस्थ होकर घर आ गया था। रोशन के आने से सरिता भी बहुत खुश थी। सरिता और रोशन के साथ सब छोटे बच्चे फिर से खेलने के लिए आने लगे थे।
अब तो डा. निशा भारती उन गरीब बच्चो के लिए भी खिलौने और खाने का सामान देती थी। एक दिन दीपक डा. निशा भारती से बोला – दीदी अब मैं स्वस्थ हो गया हूँ अब मैं जाना चाहता हूँ। निशा भारती बोली – लेकिन तुम जाओगे कहाँ। दीपक बोला – कही भी नौकरी तलाश करूँगा।
निशा भारती बोली – तुमने पहले कहा था कि एक हलवाई के पास काम करते थे। तब कुछ मिठाइयां बनाने का काम तुम्हे आता होगा।
दीपक बोला – हां मैं पेठा बहुत बढियाँ बनता हूँ और आगरे का पेठा तो बहुत विख्यात है। निशा भारती बोली – अगर तुम्हे स्वरोजगार शुरू करने का मौका मिले तो क्या तुम उसे कर सकते हो?
पेठा का रोजगार शुरू करने में कितने पैसे लगेंगे वह बताओ। दीपक बोला – पेठा बनाने के लिए और उसे व्यवसाय का रूप देने में कम से कम पांच हजार रुपये चाहिए। निशा भारती बोली तुम कुछ दिन के लिए अपना रोजगार शुरू करो अगर तुम बंगलोर जाना चाहोगे तो मैं तुम्हे पिता जी के साथ बंगलोर भेज दूंगी।
अगर तुम्हारा व्यवसाय चल निकला तो अपना व्यवसाय करना और तुम कल से ही अपने व्यवसाय के लिए तैयारी शुरू कर दो। तुम जब कहोगे तुम्हे उसी समय पांच हजार रुपये मिल जायेंगे। डा. निशा भारती अपने लड़के रोशन को पढ़ने के लिए एक अच्छे स्कूल में भेजने लगी क्योंकि अब वह चार साल का हो गया था।
उसके साथ ही कोमल की लड़की सरिता उसे डा. निशा भारती की लड़की कहना ही ज्यादा उचित होगा क्योंकि उसे जन्म देने वाली माँ कोमल अवश्य थी लेकिन उसका लालन-पालन करने वाली माता डा. निशा भारती ही थी। वह भी पढ़ने के लिए जाने लगी थी।
दोनों बच्चे सामान्य बच्चो से अधिक ही तीव्र थे। निशा भारती से दीपक बोला – दीदी आप रुपये की व्यवस्था करिये मैं कल से ही अपना व्यवसाय शुरू करना चाहता हूँ। डा. निशा भारती ने उसे पांच हजार रुपये दे दिए रुपये लेकर दीपक चला गया।
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